महाकाल की जमीन खरीदने का बंपर मौका इंदौर समेत कई शहरों में भक्तों से 84 बीघा भूमि दान में मिली, इसे बेचकर उज्जैन में नई प्रॉपर्टी खरीदेंगे

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उज्जैन :- अब आम आदमी भी महाकालेश्वर मंदिर की जमीन खरीद सकेगा। उज्जैन जिला प्रशासन इसके लिए प्लान तैयार कर रहा है। असल में मंदिर को सोना-चांदी और नकदी के अलावा जमीनें भी श्रद्धालु दान करते हैं। ये जमीनें उज्जैन जिले के अलावा दूसरे जिलों में भी मौजूद हैं। अब जिला प्रशासन इन जमीनों को बेचकर उज्जैन में ही जमीन खरीदेगा। जल्द ही इस मुद्दे को बैठक में रखा जाएगा। प्रदेशभर में महाकाल को 84.132 बीघा जमीन दान स्वरूप मिली है।

कलेक्टर आशीष सिंह के मुताबिक ये जमीन स्टेट के जमाने से भक्तों ने महाकाल को दान में दी थी। जमीनें प्रदेश के उज्जैन, इंदौर, देवास, रतलाम और मंदसौर जिलों में स्थित हैं। प्रशासन की मुश्किल है कि इनमें से कई जमीनों पर अतिक्रमण हो चुका है। वहीं, कुछ जमीनों पर विवाद के बाद कोर्ट में केस चल रहा है। कुछ का राजस्व ही नहीं मिलता। ऐसी जमीनों को चिन्हित कर जल्द ही बेच कर उज्जैन में नई जमीन खरीदी जाएगी, जिससे इनका उपयोग मंदिर में होने वाले कार्यों के लिए हो सकेगा।

ये जमीनें मंदिर के पास

  • उज्जैन – 0.627 हेक्टेयर
  • बामोरा-11.05 हेक्टेयर
  • नईखेड़ी- 3.030 हेक्टेयर
  • लेकोड़ा आंजना- 4.860 हेक्टेयर
  • पिपलोदा सांगोती- 2.700 हेक्टेयर
  • जलोदिया जागीर-1.230 हेक्टेयर
  • निमनवासा- 9.040 हेक्टेयर
  • मंगरोला- 5.220 हेक्टेयर
  • चिंतामन जवासिया -7.40 हेक्टेयर
  • देवास के राला मंडल- 10.600 हेक्टेयर
  • सौंसर- 0.890 हेक्टेयर
  • कराड़िया- 5.290 हेक्टेयर
  • रतलाम के पिपलोदा- 9.768 हेक्टेयर
  • इंदौर के सांवेर- 3.792 हेक्टेयर
  • राजगढ़ के जीरापुर- 2.841 हेक्टेयर

जमीनों पर कब्जा मंदिर समिति का ही

उज्जैन की चिंतामन और मंगरोला में दान के रूप में आई जमीन के कुछ हिस्सों पर विवाद होने के बाद कोर्ट में केस चल रहा है। अन्य जिलों में भी यहीं हालात है। अच्छी बात ये है की जमीनों पर कब्जा मंदिर समिति का ही है।

कलेक्टर ने कहा-मंदिर समिति बना रही प्लान
कलेक्टर आशीष सिंह का कहना है कि अन्य जिलों की जमीनों से मंदिर समिति को राजस्व भी नहीं मिल रहा। उज्जैन को छोड़कर देवास, रतलाम, इंदौर सहित मंदसौर की जमीनों को मंदिर समिति बेचने का प्लान तैयार कर रही है। इससे मिलने वाले पैसों से उज्जैन में एक जगह बड़ी जमीन खरीदी जा सके। इसके बाद मंदिर के अन्य क्रिया कलापों के लिए काम आ सकेगी।

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