विकास कार्यों पर लग रहा ग्रहण – आरटीओ बिल्डिंग का रिवाइज एस्टीमेट आठ माह से पेंडिंग मॉडल स्कूल के लिए जमीन नहीं ढूंढी, 4 करोड़ लैप्स हो गए

आरटीओ बिल्डिंग का रिवाइज एस्टीमेट आठ माह से पेंडिंग है। ऐसे में बिल्डिंग का कार्य पिछले आठ माह से बंद पड़ा है। मॉडल स्कूल के लिए तो नेता और प्रशासनिक अधिकारी जमीन ही उपलब्ध नहीं करवा पाए। फाइलें यहां-वहां दौड़ती रही पर हुआ कुछ नहीं। निर्माण विभागों ने जमीन के लिए जिला प्रशासन को फाइलें भेजी, जनप्रतिनिधियों को भी अवगत करवाया लेकिन प्रोजेक्ट जमीन पर नहीं ला सके।

जमीन उपलब्ध नहीं हो पाने से स्कूल बिल्डिंग के लिए स्वीकृत राशि करीब 4 करोड़ रुपए लैप्स हो गई। संगीत महाविद्यालय की बिल्डिंग को लेकर भी ऐसे ही हाल हैं। इसके लिए भी जमीन उपलब्ध नहीं हो पाई। पत्राचार चलता रहा लेकिन जमीन नहीं मिली। अंतत: पांच साल में संगीत महाविद्यालय के लिए बिल्डिंग का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है यानी प्रशासनिक उदासीनता के चलते उज्जैन में विकास कार्यों पर ग्रहण लग गया है।

कवायद चल रही लेकिन लेटलतीफी के कारण 22 करोड़ रुपए में बनने वाला फ्रीगंज ब्रिज अब 87 करोड़ रुपए में बनेगा

आरटीओ बिल्डिंग

इसके लिए पहले तो जमीन ही नहीं मिल पाई। उसके बाद वर्ष 2018 में दाउदखेड़ी में जमीन उपलब्ध होने पर आरटीओ बिल्डिंग का निर्माण शुरू हो पाया। अब बिल्डिंग का बाकी का कार्य पूरा करने के लिए एक करोड़ 13 लाख रुपए और चाहिए। इसके लिए जुलाई-अगस्त-2021 में रिवाइज एस्टीमेट भोपाल भेजा गया था, जो अब तक स्वीकृत नहीं हुआ। ऐसे में पिछले आठ माह से कार्य बंद पड़ा है।

मॉडल स्कूल

स्कूल बिल्डिंग निर्माण के लिए नेता और प्रशासनिक अधिकारी जमीन ही उपलब्ध नहीं करवा पाए। ऐसे में स्कूल बिल्डिंग का निर्माण शुरू नहीं हो पाया और बिल्डिंग के लिए स्वीकृत राशि करीब 4 करोड़ रुपए की राशि लैप्स हो गई। खुद की बिल्डिंग नहीं होने से स्कूल को किराए के मकान में संचालित करना पड़ रहा है।

फ्रीगंज ब्रिज

2015-16 से निर्माण प्रस्तावित है। पहले मास्टर प्लान के तहत माधव क्लब रोड से देवासगेट बस स्टैंड तक ब्रिज बनाया जाना प्रस्तावित था, जिसे बाद में फ्रीगंज ब्रिज के समानांतर बनाया जाना प्रस्तावित किया। सिंहस्थ-2016 में यह ब्रिज नहीं बन पाया। फिर वर्ष 2021 में ब्रिज निर्माण के लिए कवायद शुरू हुई लेकिन अब तक ब्रिज की प्रशासकीय स्वीकृति नहीं हो पाई है। 22 करोड़ में बनने वाला यह ब्रिज लेटलतीफी की वजह से अब 87 करोड़ रुपए में बनेगा।

ट्रांसपोर्ट नगर

पिछले 12 साल से केवल कवायद ही चल रही है। अब तक ट्रांसपोर्ट नगर के लिए जमीन भी तय नहीं हो पाई है। मास्टर प्लान में आगर रोड पर मकोड़िया आम, इंदौर रोड पर डेंडिया व विक्रम नगर में ट्रांसपोर्ट नगर प्रस्तावित है। यूडीए (उज्जैन विकास प्राधिकरण) इंदौर रोड पर प्रस्तावित ट्रांसपोर्ट नगर प्रोजेक्ट को निरस्त कर चुका है। ट्रांसपोर्ट नगर नहीं बन पाने से शहर में करीब सात-आठ स्थानों पर ट्रांसपोर्ट व्यवसाय संचालित करना पड़ रहा है। यहां पर शॉपिंग सेंटर होंगे ताकि व्यापारियों को ट्रांसपोर्ट नगर में ही मार्केट मिल सके। ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों के लिए दुकान व गोडाउन आदि होंगे।

संगीत महाविद्यालय

इसके लिए भी जमीन उपलब्ध नहीं हो पाई। पत्राचार चलता रहा लेकिन जमीन नहीं मिली। वर्ष-2017 में इसकी डीपीआर बनाई गई थी। अंतत: पांच साल में भी संगीत महाविद्यालय के लिए बिल्डिंग का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है। संगीत महाविद्यालय के लिए करीब 10 करोड़ रुपए स्वीकृत हैं।

आरटीओ बिल्डिंग के लिए एस्टीमेट भेज चुके, काम 8 माह से बंद

आरटीओ बिल्डिंग का रिवाइज एस्टीमेट जुलाई-अगस्त में भेजा जा चुका है। इसकी स्वीकृति अभी नहीं हुई है। बाकी का कार्य आठ माह से बंद है। मॉडल स्कूल के लिए जमीन उपलब्ध नहीं हो पाने से स्वीकृत राशि 4 करोड़ रुपए लैप्स हो गई है। संगीत महाविद्यालय बिल्डिंग के लिए जमीन उपलब्ध नहीं हो पाई। पांच साल में बिल्डिंग का निर्माण शुरू नहीं हो पाया है। 

जतिन चुंडावत, ईई, पीआईयू

डीपीआर भोपाल भेज चुके, स्वीकृति नहीं आई

फ्रीगंज ब्रिज की प्रशासकीय स्वीकृति नहीं मिल पाई है। ब्रिज की डीपीआर को भी स्वीकृति के लिए भोपाल भेजा जा चुका है, जहां से स्वीकृति नहीं आई है। प्रशासकीय स्वीकृति मिलने के बाद टेंडर किया जाकर निर्माण कार्य शुरू हो पाएगा।

आरके कटारिया, एसडीओ सेतु निगम

आरटीओ बिल्डिंग निर्माण का आइडिया नहीं

संगीत महाविद्यालय का प्रस्ताव जिले से जा चुका है। कालिदास अकादमी के पीछे की जमीन तय की है। मॉडल स्कूल की जमीन भी फाइनल है लेकिन राशि स्वीकृत नहीं हुई है। आरटीओ बिल्डिंग निर्माण का आइडिया मुझे नहीं है।

आशीष सिंह, कलेक्टर

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