दो साल पहले जब प्रतिभा पाल को इंदौर नगर निगम का दायित्व मिला तो उनके सामने शहर के नंबर 1 का खिताब बरकरार रखने की चुनौती थी। अभी तक निगम की बागडोर पुरुष अधिकारियों के हाथ में थी लेकिन उन्होंने निगमायुक्त का दायित्व लेने के बाद कभी भी किसी को यह कहने को मौका नहीं दिया कि वे शहर की बेहतरी के लिए किसी पुरुष अधिकारी से कम हैं।
इंदौर नगर निगम में उन्हें अप्रैल माह में दो साल होने जा रहे हैं। निगम में आने के बाद उन्हें शहर को स्वच्छ सर्वेक्षण का चौथी बार का खिताब हासिल करने का मौका मिला लेकिन उसके साथ ही पांचवीं बार भी इस मुकाम को हासिल करने की चुनौती भी थी।
शहर ने जब पांचवीं बार नंबर 1 का खिताब हासिल किया तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित इंदौर के आम लोगों ने भी उनके काम का लोहा माना। ऐसे में इंदौर शहर को उनके नेतृत्व में छठवीं बार भी नंबर 1 का खिताब हासिल करने करने की पूर्ण संभावना है। निगमायुक्त प्रतिभा पाल गर्भावस्था के दौरान भी सुबह से शाम तक निगम के निरीक्षण कार्य व बैठकों में जुटी रहती थीं। बेटे के जन्म के 12 घंटे पहले तक उन्होंने निगम का काम किया। बेटे के जन्म के पश्चात 12 दिन बाद वे काम पर लौट आई। वे जितनी दक्ष मैदान में हैं, उतनी ही कार्यालयीन कार्य में।
नदियों को दिया जीवन दान – निगमायुक्त पाल ने कान्ह व सरस्वती नदी में जाने वाले सीवरेज के पानी को रोकने में विशेष भूमिका निभाई है। उनके नेतृत्व में इंदौर को देश में पहली बार वाटर प्लस का खिताब मिला। उनके मार्गदर्शन में स्मार्ट सिटी कंपनी ने शहर को कार्बन क्रेडिट का फायदा दिलवाया। कोविड के दौरान उन्होंने निगम कर्मचारियों के माध्यम से शहर की सफाई के साथ राशन वितरण की व्यवस्था को बेहतर तरीके से संभाला। उनकी खूबी यह है कि वे छोटे से छोटे कर्मचारी से लेकर बड़े कर्मचारी तक से एक टीम वर्क के रूप में काम लेती है। इतना ही नहीं काम के प्रति लापरवाह कर्मचारियों पर सख्ती से कार्रवाई करती हैं। आज भी वे सुबह 7 बजे मैदान में निकल जाती है तो कई बार रात के आठ से नौ बजे तक निगम के कार्यों व बैठकों में जुटी रहती हैं।