कोच की खामी का चंद मिनटों में लगा लेती है पता, और कर देती है खामी दूर

रेलवे में कल तक जो काम पुरूषों तक ही सीमित था, उसे आज महिलाएं बखूबी निभा रही हैं। अपनी सूझबूझ और दम से आज वे कोच की खामियों को चंद मिनट में पता लगा लेती हैं अपनी पूरी क्षमता से उसे सुधारने में जुट जाती हैं ।

चंद घंटों में खामी को देर कर कोच का पटरी पर दौड़ने के लिए फिर खड़ा कर देती हैं। हम बात कर रहे हैं जबलपुर रेल मंडल के कोचिंग डिपो में काम करने वाली उन महिलाओं की जो कोच की मरम्मत का काम कर रही हैं। जबलपुर कोचिंग डिपो में 6 पिट लाइन, 1 एकीकृत सिक लाइन और दो वाशिंग एप्रॉन में कोचों का रखरखाव किया जा रहा है।

इसमें कोचिंग डिपो सिक लाइन जबलपुर में 50 महिलाओं की टीम कोचों के रखरखाव का काम करती हैं। वे यहां कोच की ओवर हॉलिंग से लेकर डिब्बों में लगे गेयर का परीक्षण, मरम्मत और एयर ब्रेक की जांच जैसे महत्वपूर्ण काम को करती हैं।

बखूबी निभाती हैं जिम्मेदारी: कोच के रखरखाव के लिए टूल्स की सप्लाई करने से लेकर गाड़ियों में पानी भरना, कोचों में कारपेंटरी, पेंटिंग का कार्य भी बखूबी से पूरा करती हैं। पहले यह काम पुरूषों के जिम्मे था, लेकिन अब महिलाओं ने इस जिम्मेदारी को उठा लिया है। पैसेंजर यार्ड में काम करने वाली इन महिला कर्मचारियों के जिम्मे गाड़ियों के ब्रेक पॉवर सार्टिफिकेट जनरेट करना, रोलिंग इन/ रोलिंग आउट में लगे सीसीटीवी कैमरे का परीक्षण करने तक काम है। वहीं पैसेंजर यार्ड में ये महिलाएं आन बोर्ड हॉउस कीपिंग सर्विस में यात्रियों की शिकायत का समाधान भी करती हैं। रेलवे की इन महिलाओं के दम पर रेलवे न िसर्फ कोच की मरम्मत का काम आसानी से करता है बल्कि रेलवे संरक्षा से जुड़ी जिम्मेदारी भी इन्हें सौंपकर ट्रेनों को बेहतर संचालन कर रहा है। रेलवे इन महिलाओं को महिला दिवस पर सम्मानित भी कर रहा है।

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