कोरोना काल की दूसरी लहर के दौरान नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बना कर उन्हें ऊंचे दामों पर बेचने के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय ने गुजरात के कौशल महेंद्र भाई वोरा और पुनीत गुणवंतलाल शाह की 1 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क की है। दोनों आरोपियों ने कोरोना की लहर में ग्लूकोज और नमक के पानी के इंजेक्शन भेज आपदा के समय लोगों से करोड़ों का मुनाफा पाया था।
इंदौर पुलिस ने की थी सूरत में कार्रवाई –
गुजरात के सूरत में नकली रेमडेसिविर बनाने का बड़ा कारखाना चल रहा था। इंदौर और सूरत पुलिस की कार्रवाई में यह खुलासा हुआ था । सूरत पुलिस ने एक फार्म हाउस पर छापा मारा, जहां नकली इंजेक्शन बनाया जा रहा था। गिरोह का मुख्य सरगना कोशल वोहरा को गिरफ्तार किया था । कोशल से ही आरोपी सुनील मिश्रा इंजेक्शन लेता था। उसने 12 सौ इंजेक्शन की सप्लाई मध्यप्रदेश में की है। 1 हजार इंजेक्शन इंदौर और 200 जबलपुर में बेचे गए थे हैंं, जबकि गिरोह ने पूरे देश में 5 हजार नकली रेमडेसिविर बेची थे ।
छापेमारी के दौरान समान आकार वाली और समान दिखने वाली खाली बोतलें, भारी मात्रा में ग्लूकोज, नमक, पैकिंग सामग्री, नकली स्टिकर और अन्य कच्चा माल भारी मात्रा में जब्त किया। एजेंसी ने 1.04 करोड़ रुपये नकद और आरोपियों की जमा राशि कुर्क करने के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक अस्थायी कुर्की जारी की।
लाखों की नकदी की गई बरामद
प्रवर्तन निदेशालय की ओर से गुजरात के इन कारोबारियों पर की गई कार्रवाई के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया कि नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने की पूरी साजिश के मास्टरमाइंड वोरा के पास से 89.20 लाख रुपये नकद पाए गए। इसके साथ ही नकली इंजेक्शन के उत्पादन और आपूर्ति में सह-साजिशकर्ता शाह के कब्जे से 11.50 लाख रुपये नकद और बैंक में जमा 3.92 लाख रुपये पाए गए।
कैसे हुआ था खुलासा
कोविड के समय विजयनगर थाना प्रभारी तहजीब काजी को एक पीड़ित महिला ने शिकायत की थी। उसने बताया कि रेमडेसिविर इंजेक्शन और दवाएं एक व्यक्ति उपलब्ध करा रहा है। वह सिर्फ महिलाओं को ही यह देने की बात कह रहा है। इसके बाद पुलिस ने SI प्रियंका को जरूरतमंद बनाकर इंजेक्शन के लिए भेजा। आरोपी सुरेश यादव निवासी बाणगंगा से मैसेंजर पर टोसिलिजुमैब इंजेक्शन को देने की बात कर रहा था। महिला पुलिस अधिकारी और एक थाने के आरक्षक ने उसे जाल बिछाकर उसे पकड़ लिया था ।