होली का त्यौहार पूरे देश में उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होते है, एक दूसरे को बधाई देते है। होली का नाम सुनते ही दिमाग में रंग-गुलाल, मिठाईयां और तरह-,तरह के पकवानों का ख्याल आ जाता है , वहीं होली पर भांग नहीं खाई तो यह त्यौहार अधूरा लगता है। शहर में होली के दिन एक दुकान से 10 से 15 किलो के बीच भांग की बिक्री होती ही ,अमूमन रोजाना ये 5 किलो तक बिकती है , लेकिन होली वाले दिन बिक्री तीन गुना तक बढ़ जाती है। जिसमें शिकंजी की मांग सबसे ज्यादा होती है ,इसके अलावा दूध ,पानी ,गटागट,चूर्ण और कुल्फी के रूप में भी लोग इसका सेवन करते है।
भांग की दुकानों पर सुबह से ही भीड़ जुटना शुरू हुई
भगवान महाकाल को अति प्रिय भांग को उज्जैन में बड़ी संख्या में लोग पसंद करते है ,यहीं वजह है की आम दिनों में भी भांग के शौकीनों की भीड़ दुकानों पर लगी रहती है। रंगों के त्यौहार होली पर मस्तानों की भीड़ शहर की भांग की दुकानों पर सबसे ज्यादा होती है। यहां न सिर्फ युवा बल्कि महिला और पुरुष भी बड़ी संख्या में भांग का सेवन करने पहुंचते है। शहर की अलग-अलग दुकानों पर भांग का मजा लेने के लिए होली के पर्व पर सबसे ज्यादा भीड़ रहती है। महाकाल की नगरी उज्जैन में इसका अपना महत्व है। इसके कारण होली वाले दिन भांग की बिक्री तीन गुना अधिक होती है ,और सुबह से ही भांग की दुकानों पर भीड़ जुटना शुरू हो जाती है। भांग का सेवन करने वाले लोग ख़ास कर होली पर्व का इन्तजार करते है। हालांकि महाकाल की इस नगरी में वर्ष भर भांग की बिक्री होती है। यहां महाकाल के भक्त भांग को प्रसाद स्वरूप भी लेते है।
भांग का कई रूप में सेवन
भांग का सेवन कई प्रकारों से किया जाता है जिसमें दूध, बादाम ,केसर ,जल, गटागट और चूर्ण के रूप में इसे सबसे अधिक पसंद किया जाता है। शिकंजी के रूप में कई लोग इसे लेना पसंद करते है। इनके रेट 10रुपए ,20 रुपए ,40 रुपए से लेकर 80 रुपए तक होते है। होली, शिवरात्रि और सावन माह में इसकी बिक्री सबसे अधिक होती है। कई लोग इसकी लस्सी , कुल्फी, ठंडाई , नमकीन भजिये और गुजिया में भी इसका प्रयोग करते है।