मालवा मिल की भिंडी खाऊ बस्ती। यहां की एक संकरी सी गली में टीन शेड का एक कमरे का घर, जिसमें रहता है 24 साल का मूक-बधिर लड़का राज वर्मा। दरअसल, राज कुश्ती लड़ता है और मई में ब्राजील में हाेने वाले मूक बधिराें के ओलिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने जा रहा है। राज 55 किलो वजन वर्ग में ग्रीकाे राेमन कुश्ती करता है। नाममात्र की सुविधा, रोज पेट भरने के संकट के बावजूद राज का जुनून रत्तीभर भी कम नहीं हुआ।
मां का साया 2016 तो पिता का सिर से हाथ 2020 में ही उठ गया था। अब बिजली कंपनी में आठ हजार रुपए महीने की नौकरी करने वाला बड़ा भाई ऋषभ ही राज की खुराक इंतजाम कर रहा है। गोमती व्यायामशाला के गुरु प्रहलाद ठाकुर भी अपने चेले राज की मदद कर रहे हैं। खुराक पूरी करने बादाम और घी उसे दिया है।
घर में घी आता है, लेकिन सिर्फ राज के लिए
राज के भाई ऋषभ ने बताया कि वह 12 साल का था, जब उसनें हॉकी खेलना शुरू किया। वहां दिल नहीं लगा तो अखाड़े जाने लगा। कुश्ती में मन रम गया तो फिर 5-6 घंटे तक अखाड़े ही दांव-पेंच सीखा करता। हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र तक खेलकर आ चुका है। घर की आर्थिक हालत अच्छी नहीं है। मेरी आठ हजार की कमाई के भरोसे ही घर की बागडोर और उसकी कुश्ती की तैयारी चल रही है। घर में घी आता है, लेकिन उस पर केवल राज की हक है।
सब्जी का ठेला लगाता था, वो भी निगमवाले ले गए
राज का छोटा भाई अमन भी बोल-सुन नहीं सकता। राज और अमन सब्जी और भूसा भी बेचते थे। रोड किनारे ठेला लगता था। लेकिन रोड चौड़ीकरण और सफाई की कीमत चुकाना पड़ी। ठेला हटा तो राज ने इशारे से समझाने की कोशिश की, लेकिन निगमकर्मी ठेला उठाकर ले गए। राज हाथ जोड़ता, रोता हुआ चला गया।