रासायनिक खाद का उपयोग कम से कम कर जैविक खेती अधिक की जाये-उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.यादव, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने शून्य बजट आधारित कृषि पद्धति पर कार्यशाला सम्पन्न, भोपाल से कार्यशाला के माध्यम से गुजरात एवं म.प्र. के राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री ने किसानों को सम्बोधित किया

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उज्जैन । भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कंवेंशन सेन्टर से वर्चुअल के माध्यम से आज बुधवार 13 अप्रैल को पूर्वाह्न में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने शून्य बजट आधारित कृषि पद्धति पर कार्यशाला को गुजरात के राज्यपाल आचार्य श्री देवव्रत एवं मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल एवं मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने सम्बोधित किया। उज्जैन कृषि उपज मंडी में किसानों को कार्यशाला के प्रारम्भ में प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने किसानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि रासायनिक खाद का उपयोग कम से कम जैविक खेती अधिक से अधिक की जाये। बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ भोजन की आपूर्ति के लिये हम लोगों के द्वारा खाद्य उत्पादन की होड़ में अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिये तरह-तरह के रासायनिक खादों, जहरीले कीटनाशकों का उपयोग करते चले जा रहे हैं।

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने कहा कि किसानों के जीवन के साथ-साथ उनकी खेती में जितना बदलाव लाया जा सकेगा, उतना सरकार लेकर आयेगी। पुराने समय में प्राकृतिक एवं जैविक खेती होती थी, जिससे हमारे जीवन के साथ-साथ खानपान से जीवन स्वस्थ रहता था, परन्तु अधिक रासायनिक खाद खेतों में डालकर हमारे जीवन में जहर-सा घुल रहा है। किसानों से कहा कि हमारे खेती के रकबे में धीरे-धीरे जैविक एवं प्राकृतिक खेती की ओर मुड़ना चाहिये। डॉ.यादव ने कहा कि कृषि में तरह-तरह की रासायनिक खादों व कीटनाशकों का प्रयोग हो रहा है, जिसके फलस्वरूप जैविक और अजैविक पदार्थों के बीच आदान-प्रदान के चक्र को प्रभावित करता है, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति खराब हो रही है और वातावरण प्रदूषित होने के साथ मनुष्यों के स्वास्थ्य में गिरावट आ रही है। रासायनिक खादों एवं जहरीले कीटनाशकों के उपयोग के स्थान पर जैविक खादों प्राकृतिक खेती करने से अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। जिससे भूमि, जल एवं वातावरण शुद्ध रहेगा और मनुष्य तथा प्रत्येक जीवधारी भी स्वस्थ रहेंगे।

किसानों को सम्बोधित करते हुए पूर्व कृषि उपज मंडी अध्यक्ष श्री बहादुरसिंह बोरमुंडला, श्री रामसिंह बड़ाल, श्री केशरसिंह पटेल ने कहा कि किसान भाई अपने कृषि रकबे में से शुरूआत में कुछ रकबे में जैविक एवं प्राकृतिक खेती करें। इससे किसानों को लाभ होगा। किसान खेतों में कम से कम रासायनिक खाद का उपयोग करें और जैविक खेती से खेती को अधिक लाभ का धंधा बनायें। रासायनिक खाद का उपयोग करने से कई गंभीर बीमारियां हो रही है जो घातक है। कृषि विभाग के उप संचालक श्री आरपीएस नायक ने शून्य बजट प्राकृतिक खेती का संक्षिप्त विवरण देते हुए कहा कि जीरो बजट खेती का मतलब है कि किसान खेती में कोई भी राशि अतिरिक्त खर्च न करे। किसान जो भी फसल उगाये उसमें कोई भी रासायनिक कीटनाशक, उर्वरक, अन्य रसायनों का उपयोग न हो। जीरो बजट खेती एक तरह से प्राकृतिक एवं जैविक खेती के लिये प्रेरित स्वयं एवं दूसरे किसानों को भी करें। जीरो बजट प्राकृतिक खेती देशी गाय के गोबर एवं गोमूत्र पर आधारित है। देशी गाय के गोबर से एक एकड़ जमीन पर जीरो बजट खेती किसान कर सकते हैं। इसी तरह उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती कृषि की प्राचीन पद्धति है। यह भूमि के प्राकृतिक स्वरूप को बनाये रखती है। प्राकृतिक खेती में फसल अवशेष, गोबर की खाद, कम्पोस्ट खाद, जीवाणु खाद प्राकृतिक रूप से प्रकृति में उपलब्ध खनिज, रॉक फास्फेट, जिप्सम एवं कीटनाशक के रूप में नीम की पत्ती आदि का उपयोग किया जाता है। उप संचालक कृषि श्री नायक ने बताया कि प्राकृतिक खेती से भूमि की जलधारण क्षमता में वृद्धि, कार्बनिक तत्व बनने से भूमि की उर्वरकता में वृद्धि, मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होने के साथ-साथ रासायनिक खादों की बचत, फसल लागत में कमी और बाजार में जैविक उत्पादन की मांग होने से किसानों की आय में वृद्धि होगी।

भोपाल से कार्यशाला को राज्यपालद्वय, मुख्यमंत्री के सम्बोधन के साथ ही केन्द्रिय कृषि मंत्री श्री नरेन्द्रसिंह तोमर, प्रदेश के कृषि मंत्री श्री कमल पटेल ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में उज्जैन कृषि उपज मंडी में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव सहित अन्य अतिथियों ने भगवान श्री बलराम के चित्र पर माल्यार्पण कर चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर श्री गोविन्द खंडेलवाल, श्री भंवरसिंह चौधरी, किसान आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन कृषि विभाग के सहायक संचालक श्री कमलेश राठौर ने किया।

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