भगवान महाकालेश्वर को वैशाख एवं ज्येष्ठ मास की तपती गर्मी में ठंडक देने के लिए पुजारी-पुरोहितों द्वारा रविवार से ठंडे पानी की मटकी के 11 कलश बांधे जाएंगे। इनसे पानी की सतत जलधारा बहेगी। इस बार वैशाख कृष्ण प्रतिपदा 17 अप्रैल को है। लिहाजा, इसी दिन से गर्भगृह में शिवलिंग के ऊपर सतत् जलधारा के लिए मटकियां प्रति वर्ष बांधी जाती हैं। इन मटकियों से सुबह भस्मार्ती से संध्या पूजन के पूर्व तक भगवान महाकाल पर सतत् जल की धारा प्रवाहित की जाती है। यह क्रम करीब दो महीने तक रहेगा।
भक्त जिस तरह गर्मी से बचने के लिए जतन करते हैं, उसी तरह विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में भगवान महाकाल को शीतलता प्रदान करने के लिए ठंडे जल की धारा शुरू की जाएगी। इसी प्रकार तेज ठंड के दिनों में भी भगवान को गर्म जल से स्नान कराए जाने की परंपरा निभाई जाती है। मंदिर के आशीष पुजारी ने बताया कि भीषण गर्मी से राहत के लिए भी तैयारी की जाती है। इसके तहत वैशाख कृष्ण प्रतिपदा 17 अप्रैल को महाकाल मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग पर मिट्टी के 11 कलश बांधे जाएंगे। नियमित चांदी के कलश की जलधारा के अलावा 11 अतिरिक्त मिट्टी की मटकियों से जल धाराएं प्रवाहित की जाएंगी।
माना जाता है कि इन कलश से प्रवाहित जलधारा को गंगा, यमुना, गोदावरी सहित अन्य नाम लिखकर शीतलता के लिए बांधी जाती है। वैशाख कृष्ण प्रतिपदा से यह मटकियां लगाई जाती हैं, जो ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा तक करीब दो माह बंधी रहेगी। मान्यता है कि भगवान महाकाल इससे तृप्त होकर राष्ट्र व प्रजा के कल्याण के लिए सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं।