भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) इंदौर को कम से कम ऊर्जा में संचालित होने वाले इलेक्ट्रानिक्स उपकरणों के लिए तकनीक विकसित करने में सफलता मिली है।
संस्थान ने ऐसे सेमीकंडक्टर मेमोरी आर्किटेक्चर का विकास किया है, जिस पर आधुनिक समय में तैयार की जा रही इंटीग्रेटेड सर्किट (आइसी) को संचालित किया जा सकता है। पारंपरिक माइक्रो प्रोसेसर आधारित हैंड हेल्ड डिवाइस में एम्बेडेड मेमोरी शामिल होती है जो सिस्टम आन चिप के एक बड़े हिस्से की विशेषता होती है।
आइआइटी इंदौर के प्रो. संतोष कुमार विश्वकर्मा और आइआइटी इंदौर से पीएचडी कर चुके डा. भूपेंद्र सिंह रेनीवाल ने ऐसी ही तकनीक बनाई है जिससे उपकरण कम ऊर्जा में चल सकेगा और तेजी से काम करेगा। इसके लिए संस्थान को पेटेंट मिला है। इस तकनीक का उपयोग न्यूरोमार्फिक कंप्यूटर चिप्स, कम ऊर्जा में चलने योग्य इलेक्ट्रानिक्स उपकरणों, स्मार्टफोन, व्यक्तिगत स्वास्थ्य सहायक उपकरण और स्मार्ट साइबर अनुप्रयोगों में डाटा प्रोसेसिंग में सटीकता लाने के लिया किया जा सकेगा। इससे ऊर्जा की बचत भी होगी। इस समय आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) उपकरणों पर काम हो रहा है और काफी कम आकार और वजन के उपकरण तैयार किए जा रहे हैं। इसमें आइआइटी इंदौर द्वारा तैयार किए गए मेमोरी आर्किटेक्चर का काफी लाभ मिलेगा।
85 पेटेंट के लिए आवेदन – प्रो. विश्वकर्मा और डा. रेनीवाल द्वारा किए गए इस शोध के साथ अब तक 16 पेटेंट आइआइटी इंदौर के नाम दर्ज हो चुके हैं। संस्थान ने अब तक 85 पेटेंट के लिए आवेदन किया था। प्रो. विश्वकर्मा का यह चौथा पेटेंट है और वे लंबे समय से ऊर्जा कुशल और विश्वसनीय सेमीकंडक्टर और मेमोरी डिजाइन के लिए काम कर रहे हैं। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) और इंटरनेट आफ थिंग्स (आइओटी) आधारित उपकरणों को तैयार करने के लिए भी वे काम कर रहे हैं। डा. रेनीवाल इंटेल और आइबीएम जैसी कंपनियों का अनुभव ले चुके हैं। कम से कम ऊर्जा में चलने वाले मेमोरी आर्किटेक्चर बनाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है।