श्रावण में 4 दिन बाकी है। श्रावण में हर साेमवार करीब डेढ़ लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है, जिनमें से कुछ श्रद्धालु नदी में स्नान या आचमन के लिए जाएंगे। इस बीच अब तक शिप्रा नदी पर सुरक्षा काे लेकर काम शुरू नहीं हो पाए हैं। अधिकारी और इंजीनियर्स ड्राइंग-डिजाइन में ही उलझे हुए हैं। ऐसे में फिर सवाल उठ रहा है कि शिप्रा नदी में होने वाली मौतें कैसे रुक पाएंगी।
14 जुलाई से श्रावण शुरू हो रहा है। वर्तमान में ही हर दिन 25 हजार श्रद्धालु आ रहे हैं और महाकाल सवारी में उम्मीद की जा रही है कि एक से डेढ़ लाख श्रद्धालु आएंगे। इनमें से कई श्रद्धालु शिप्रा में स्नान या आचमन के लिए रामघाट पर पहुंचेंगे। यहां पर फिसलन भी बढ़ गई है।
सुरक्षा और श्रद्धालुओं को डूबने से बचाने के लिए घाट पर किए जाने वाले कार्य अब तक शुरू नहीं हो पाए हैं। श्रद्धालुओं को नदी में डूबने से बचाने के लिए करीब 13 करोड़ रुपए का प्लान बनाया गया है और इसका टेंडर भी हो चुका हैै। रामघाट की फ्लोरिंग भी पूरी तरह से खराब हो रही है, उसे भी ठीक कर सौंदर्यीकरण किए जाने की आवश्यकता है।
तकनीकी खामी को दूर करते हुए यहां एक जैसे प्लेटफार्म बनाए जाए तो श्रद्धालुओं की जान बच सकती है। श्रद्धालुओं को नदी की गहराई का पता नहीं होने से वे गहरे पानी में चले जाते हैं और हादसे का शिकार हो जाते हैं। अधिकारियों का कहना है कि जल्द काम शुरू किया जाकर तय 18 माह में काम पूरा कर लिया जाएगा।
ये 7 काम, जिनसे श्रद्धालुओं की सुरक्षा हो सकेगी
1 छोटे पुल से नर्सिंग घाट तक दोनों तरफ की गहराई का कार्य कर सेफ्टी रेलिंग पाैराणिक स्वरूप में लगाई जाना है।
2 शिप्रा नदी क्षेत्र के सभी मंदिरों का जीर्णोद्धार किया जाना।
3 राणोजी की छतरी का भी जीर्णोद्धार।
4 रामघाट की सभी दीवारों का जीर्णोद्धार होना है।
5 रामघाट पर लगे पत्थर को बदला जाकर पौराणिक स्वरूप में लाना।
6 नदी के मुख्य घाट पर डेकोरेटिव लाइटिंग का कार्य भी करना होगा। ।
7 रामघाट के आसपास की सड़कों का उन्नयन करना।