बाबा महाकाल पर बिना फिल्टर किए चढ़ रहा जल – कोर्ट के निर्देशों की अवेलहना, कावड़ यात्री नदियों का जल चढ़ा रहे

विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अनदेखी कर बाबा महाकाल पर आरओ जल के स्थान पर नदी, सरोवर से लाने वाले जल को चढ़ाने की छूट दे दी है। शुक्रवार को महाकाल मंदिर में त्रिवेणी से शिप्रा का जल लेकर पहुंचे कावड़ यात्रियों ने जल पात्र से सीधे बाबा महाकाल को जल अर्पित किया। जबकि वर्ष 2018 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के पालन में सभा मंडप में दानदाता के माध्यम से सामान्य जल को फिल्टर करने के लिए मशीन लगाई गई थी। जिसके माध्यम से बाहर से लाए जाने वाले जल को पात्र में डाला जाता था, जिससे जल पूरी तरह हानिकारक तत्वों से मुक्त होने के बाद बाबा महाकाल को अर्पित हो सके।

श्री महाकालेश्वर मंदिर में दो वर्ष बाद प्रतिबंध नही होने से देश के कई स्थानों से कावड़ यात्री कावड़ में जल लेकर भगवान महाकालेश्वर का जलाभिषेक करने पहुंचेेगेंं। इधर श्रावण मास शुरू होने के बाद शुक्रवार को पहली कावड़ यात्रा समर्पण कावड़ यात्रा त्रिवेणी से शिप्रा का जल लेकर मंदिर पहुंचे थे। कावड़ यात्रा में आए सदस्यों ने कार्तिकेय मंडपम के प्रवेश द्वार पर लगे जल पात्र में अपने जल को अर्पित किया। यहां लगे पात्र से जल सीधे बाबा महाकाल पर अर्पित होता है। इस व्यवस्था से जल अर्पित कराने में मंदिर समिति ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की फिर अनदेखी कर दी है। कारण है कि भगवान महाकाल के शिवलिंग क्षरण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जल में मौजूद हानिकारक तत्वों के कारण भगवान पर शुद्ध आरओ का फिल्टर जल चढ़ाने के निर्देश दिए है। इसके बाद से ही महाकाल मंदिर परिसर स्थित कोटितीर्थ कुंड का जल भी भगवान को नही चढ़ाया जाता है। वहीं कोर्ट के निर्देश के बाद से ही भगवान को अर्पित होने वाले जल को फिल्टर प्लांट से लिया जाता है।

2018 में लगाया था फिल्टर प्लांट

सुप्रीम कोर्ट की सलाह के बाद ही वर्ष 2018 में तत्कालीन कलेक्टर मनीष सिंह ने श्रावण में बाहर से आने वाले कावड़ यात्रियों को जल चढाने के लिए सभा मंडप में फिल्टर प्लांट लगाया था। दानदाता की मदद से लगे प्लांट से पात्र का जल फिल्टर होने के बाद ही भगवान महाकाल के शीर्ष तक पहुंचता था। नई दिल्ली के भक्त विनोद व्यास ने मंदिर समिति को एक फिल्टर प्लांट तथा 5 चांदी के जलपात्र दान दिए थे। योजना के अनुसार कावड़ यात्री जल पात्रों में जल, दूध व पंचामृत डालते थे तो विशेष पाइप के जरिए यह सामग्री फिल्टर प्लांट तक पहुंच जाती थी। शुद्ध होने के बाद यह जल द्वार के समीप लगे पाइप से होकर गर्भगृह में बाबा महाकाल के शीष के ऊपर लगे चांदी के पात्र में पहुंचने के बाद भगवान को अर्पित होती थी।

सतर्कता इसलिए कि शिवलिंग का क्षरण नहीं हो

भगवान महाकाल के शिवलिंग का क्षरण नहीं हो, इसके लिए आरओ वाटर का उपयोग किया जा रहा है। श्रावण-भादौ में परंपरा अनुसार बाबा महाकाल के जलाभिषेक के लिए देश भर से हजारों श्रद्धालु विभिन्न नदियों, सरोवर का जल लेकर आते हैं। कावड़ के जल में हानिकारक तत्वों की मौजूदगी से शिवलिंग किसी प्रकार से प्रभावित नहीं हो, इसे ध्यान में रखकर कावड़ के जल को फिल्टर कर शिवलिंग तक पहुंचाया गया था

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