हमारे प्रदेश के विश्वविद्यालयों में शिक्षा सहित अन्य संसाधनों के बेहतर होने का चाहे जितने दावे किए जाए लेकिन नेशनल इंस्टीट्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) के हर पैरामीटर में हमारे विश्वविद्यालय कमजोर साबित हुए।
चौंकाने वाली बात यह है कि एक केंद्रीय विश्वविद्यालय के साथ परंपरागत और निजी विश्वविद्यालयों सहित प्रदेश में 68 विश्वविद्यालय हैं लेकिन एनआईआरएफ की रैंकिंग में उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय सहित हमारे प्रदेश का एक भी विश्वविद्यालय देशभर की टॉप-100 यूनिवर्सिटीज में अपना स्थान नहीं बना पाया। इसके अलावा कॉलेजों की श्रेणी में हमारे प्रदेश के सभी कॉलेज फिसड्डी साबित हुए।
एक भी कॉलेज एनआईआरएफ सूची में अपना स्थान तक नहीं बना पाया। उज्जैन का विक्रम विश्वविद्यालय वर्ष 2017 में पहली बार टॉप-150 में चुना गया था लेकिन इसके बाद लगातार विश्वविद्यालय टॉप-200 की सूची में भी शामिल नहीं हो सका है।
टॉप-150 में देवी अहिल्या विवि इंदौर
एनआईआरएफ की टॉप-200 सूची में भी प्रदेश के केवल दो ही कॉलेज अपना स्थान बना पाए। इंदौर का देवी अहिल्या विश्वविद्यालय टॉप-101 से टॉप-150 की सूची में अपना स्थान बनाने में कामयाब रहा। वहीं रायसेन का निजी विश्वविद्यालय रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय टॉप-151 से टॉप-200 में अपना स्थान बना पाया लेकिन टॉप-200 में भी प्रदेश के परंपरागत सहित अन्य विश्वविद्यालयों को स्थान नहीं मिला।
इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट की श्रेणी से बचा सम्मान
एनआईआरएफ की रैंकिंग में केवल इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट की श्रेणी में ही प्रदेश का सम्मान बच सका। मैनेजमेंट की श्रेणी में इंदौर के आईआईएम को देशभर में 7वां स्थान मिला। इसके अलावा ग्वालियर के अटलबिहारी वाजपेयी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट संस्थान को देशभर में 64वीं रैंक मिली।
इंजीनियरिंग कैटेगरी में इंदौर के आईआईटी को देशभर में 16वां स्थान हासिल हुआ। इसके अलावा भोपाल के एमएएनआईटी मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट को 70वां, ग्वालियर के अटलबिहारी वाजपेयी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट को 78वां और जबलपुर के पं. द्वारकाप्रसाद मिश्रा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी डिजाइन एंड मैन्युफेक्चरिंग को 82वां स्थान मिला।
मापदंडों पर कमजोर पड़े हमारे विश्वविद्यालय
- टीचिंग, लर्निंग एंड रिसोर्सेस : इंदौर के डीएवीवी को छोड़कर प्रदेश के लगभग सभी विश्वविद्यालयों में नियमित शिक्षकों की कमी, फाइनेंशियल रिसोर्सेस के नाम पर कुछ नहीं।
- रिसर्च एंड प्रोफेशनल प्रेक्टिस : लगभग सभी विश्वविद्यालय प्रोफेशनल प्रेक्टिस में कमजोर हैं। पेटेंट के नाम पर भी कोई बड़ी उपलब्धियां नहीं।
- ग्रेजुएशन आउटकम : प्लेसमेंट की स्थितियां कमजोर हैं। एक-दो विश्वविद्यालयों को छोड़कर कहीं भी कोई बड़ी कंपनी के कैंपस नहीं होते, जिससे विद्यार्थियों को अच्छा पैकेज भी नहीं मिल पाता।
- आउटरीच एंड इन्क्लुजिविटी : अन्य प्रदेशों से आकर हमारे विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या बेहद कम है। अधिकांश विद्यार्थी चेन्नई, पुणे, बैंगलुरू, हैदराबाद, जयपुर जैसे शहरों में अच्छी रैंकिंग वाले संस्थानों में प्रवेश ले लेते हैं। हमारे यहां से भी विद्यार्थी किसी उच्च स्तर वाले संस्थानों में कम ही प्रवेश लेते हैं।
- पियर परसेप्शन : जहां हमारे विद्यार्थी जॉब के लिए जाते हैं, वहां उनकी स्थिति और गुणवत्ता को लेकर कंपनियों, संस्थानों और कर्मचारियों की राय कुछ खास नहीं है।
प्रदेश में विवि की संख्या
- परंपरागत विश्वविद्यालय – 08
- अन्य विश्वविद्यालय – 09
- अन्य विभागों से संबद्ध विवि -08
- निजी विश्वविद्यालय – 43