पंचायतों के हुए चुनावों में सरनेम के नाम पर गफलत हो गई और एससी के लिए आरक्षित सीट पर सामान्य वर्ग के उम्मीदवार ने फार्म भर दिया। इतना ही नहीं स्क्रूटनी में भी यह गलती पकड़ में नहीं आई। सामान्य वर्ग के उम्मीदवार ने पंचायत के आए नतीजों में जीत भी दर्ज कर ली।
इस मामले ने तूल तब पकड़ा जब यह राज्य निर्वाचन आयोग की जानकारी में आया। दरअसल, सिवनी जिला अंतर्गत पंचायत चुनाव में वार्ड क्रमांक.1 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था, इस पर बागरी जाति के सदस्य ने अनुसूचित जाति का बताते हुए नामांकन फार्म जमा कर दिया।
आरक्षित वार्ड से चुनाव लड़ रहे पराजित प्रत्याशी राम प्रसाद डहेरिया ने इस बारे में जिला निर्वाचन अधिकारी सिवनी से शिकायत की। इसमेंं कहा गया कि ब्रजेश सिंह बघेल राजपूत हैं और उनकी उपजाति बागरी है। वे सामान्य वर्ग में आते हैं। लेकिन इस शिकायत को राज्य निर्वाचन आयोग के उस आदेश के तहत खारिज कर दिया गया, जिसमें कहा गया है कि जाति सर्टिफिकेट न होने पर शपथ पत्र के आधार पर भी चुनाव लड़ा जा सकता है।
यह है नियम…
आरक्षित वर्ग का सदस्य होने की स्थिति में सरकार के सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी जाति प्रमाण पत्र की छायाप्रति संलग्न करना आवश्यक है।
ऐसे आदेश का दुरुपयोग कर कोई दूसरों का हक छीन सकता है
राज्य निर्वाचन आयोग का आदेश विधि सम्मत नहीं है। ऐसे आदेशों का दुरुपयोग कर कोई भी व्यक्ति वर्ग के लोगों का हक छीन लेते हैं। लिखित में हमने सिवनी जिले के वार्ड क्रमांक-1 में जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में शपथ पत्र के आधार पर प्रत्याशी ने अपनी जाति एससी वर्ग में बता दी, जबकि यह जाति सामान्य में आती है। अब वह उम्मीवार चुनाव भी जीत गया है, लेकिन अब तक आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की है।
-अशोक विश्वकर्मा, सह संयोजक, प्रदेश विधि प्रकोष्ठ, भाजपा
इस संबंध में शिकायत आई है तो उसका परीक्षण किया जाएगा, उसके बाद ही आगे कार्रवाई होगी।
– राकेश सिंह, सचिव, राज्य निर्वाचन आयोग