मंत्री जी को भी पसंद आया सुझाव
उज्जैन। पिछले पिछले अगस्त माह में उज्जैन-नागदा हाईवे पर एक निजी स्कूल के वाहन दुर्घटना में 4 बच्चों की मृत्यु हो गई थी, जिसने पूरे मध्य प्रदेश का हिला कर रख दिया था। मीडिया के साथ-साथ आमजनों में सरकार के खिलाफ आक्रोश था और कई संस्थाओं ने भी चोपहिया वाहनों की गति को नियंत्रण करने हेतु कई प्रयास किए थे।
- इसी कड़ी मे संस्था अमृत उज्जयिनी लगातार आंदोलित थी। संस्था के पालकों की हुई बैठक में यह सुझाव दिया गया था कि यदि फायर ब्रिगेड एवं एंबुलेंस की तरह यदि स्कूली वाहनों पर भी यदि इस प्रकार का सायरन लगा दिया जाए तो सायरन की आवाज सुनकर स्वत: ही जगह दी जाएगी। इसी सुझाव को लेकर संस्था अमृत उज्जयिनी का एक प्रतिनिधिमंडल राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत से मिला एवं उनको एक ज्ञापन दिया गया। संस्था के संयोजक निलेश कोशीशा ने बताया कि संस्था के प्रतिनिधिमंडल ने परिवहन मंत्री से मुलाकात की तो मंत्री जी ने बताया कि राज्य सरकार भी इस संवेदनशील विषय को लेकर गंभीर है एवं लगातार प्रयत्नशील है। संस्था के सुझाव को मंत्री जी ने ठीक बताया, परंतु यह भी बताया कि सायरन लगने के कारण स्कूली बस के ड्राइवर उसका दुरुपयोग कर सकते हैं परंतु केवल हाईवे पर चलने वाले स्कूली वाहनों पर इसे लागू किया जा सकता है क्योंकि वहाँ ज्यादा गति रहती है।
परिवहन मंत्री ने बताया कि 19 सितंबर से उच्चतम न्यायालय द्वारा जारी की गई गाइडलाइन के अनुसार प्रदेश के समस्त स्कूलों में सघन चेकिंग अभियान अभियान चलाया जाएगा एवं शायद मध्य प्रदेश पहला ऐसा राज्य बनने जा रहा है, जिसमें स्कूली वाहनों में जीपीएस व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम के साथ पेनिक बटन भी अनिवार्य कर दिया जाएगा। संस्था की इस चिंता को मंत्री जी ने उचित ठहराया एवं कहा कि सरकार भी इस विषय को लेकर बहुत गंभीर है।