सर्वपितृ अमावस्या – वर्षों बाद बने संयोग पर पितरों की उपासना के लिए भारी भीड़

अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि रविवार के दिन सर्वांर्थं सिद्धि योग का भी संयोग इस अमावस्या पर बना। यह बहुत दुर्लभ है जब सर्वपितृ अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बनता है। इसके अलावा भी इस तिथि पर इस दिन अलग-अलग प्रकार के योग बन रहे हैं। इस दिन किए गए पितृ कर्म का विशेष पुण्य फल प्राप्त होता है। अमावस्या का खास दिन होने के कारण उज्जैन के शिप्रा तट रामघाट, सिद्धवट और केडी पैलेस पर देशभर के हजारों श्रद्धालु पहुंचे और पितरों के निमित्त पिंडदान, तर्पण, पूजन कार्य किया।

भूतड़ी अमावस्या पर 52 कुंड की मान्यता है कि जिस पर भी बुरी आत्मा का साया हो और वो एक बार 52 कुंड में से सूर्य कुंड और ब्रहम कुंड में भूतड़ी अमावस्या पर डुबकी लगाकर नहान ले तो उस पर से सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती हैं। कोरोना प्रतिबंध के बाद इस बार अमावस्या भारी भीड़ जुटी। यहां पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने 52 कुंड पर डुबकी लगाकर पुण्य कमाया। इसे भूतों का मेले के नाम से भी जाना जाता है। शरीर में लगी बुरी आत्माओं को भगाने के लिए इन दोनों कुंड में डुबकी लगाई जाती ही।मान्यता है कि ऐसा करने से सभी आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। स्कंद पुराण में भी इसका उल्लेख मिलता है। सूर्य कुंड, ब्रह्म कुंड और सूर्य मंदिर यहां स्थापित हैं।

23 घंटे रहेगा सर्वार्थ सिद्धि योग

सर्वार्थ सिद्धि योग का समय रविवार को प्रात: 6:20 से लेकर अगले दिन प्रात: 5:56 तक रहेगा। पूरा दिन पितृ कर्म करने के लिए प्रशस्त रहेगा। इस दौरान पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान, तीर्थ श्राद्ध के रूप में किए जा सकेंगे साथ ही धूप ध्यान भी दी जा सकेगी। सर्वपितृ अमावस्या में सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ-साथ ग्रह गोचर के बुधादित्य योग और गुरु शनि का केंद्र त्रिकोण योग भी बन रहा है। यह बहुत दुर्लभ है। ऐसे योग में भी विशिष्ट कृपा पितरों की होती है।

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