भारत को जड़ी बूटियों का देश भी कहा जाता है. बताया जाता है कि इन जड़ी बूटियों के सेवन से ही बड़े-बड़े ऋषि मुनि कई-कई सौ सालों तक जीवित रहते थे. आयुर्वेद में इन औषधियों के बारे में विस्तार से बताया है.
लेकिन समय के साथ लोग रोगों के उपचार की दूसरी पद्धतियों पर निर्भर रहने लगे देसी औषधियों पर निर्भरता कम होती चली गई. इन जड़ी-बूटियों में से एक नेपाली चिरायता भी है. आप में से कई लोगों ने नेपाली चिरायते का पहले भी कई बार नाम सुना होगा, लेकिन आज हम आपको इसके गुणों के बारे में बताने जा रहे हैं.
नेपाली चिरायता के नाम से मशहूर ये जड़ी-बूटी एक रामबाण औषधि है, जो एक नहीं बल्कि एक साथ कई रोगों को जड़ से नष्ट कर देती है. दरअसल, चिरायता हिमालय, नेपाल भूटान में उगाई जाने वाली एक प्रमुख औषधीय जड़ी बूटी है.
इसका इस्तेमाल-
- पुरानी त्वचा रोगों
- विषाक्तता
- पुरानी बुखार
- एनीमिया
- कब्ज
- पेट के कीड़े
- मिर्गी
- यकृत विकार
- हेपेटाइटिस
- मधुमेह में किया जाता है
- भूख बढ़ाने में मददगार
- आंतों के कीड़ों को मारता है
- पेचीश रोग ठीक होता है
- पीलीया एनीमिया रोग में लाभ मिलता है
- अमाशय के रक्तस्राव में लाभ मिलता है
- लिवर के सूजन को ठीक करता है
- रक्त शुद्धि के लिए उपयोगी
- खांसी को ठीक को ठीक करने में सहायक
- प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) को बढ़ाने में मददगार
- रक्तशोधक के रूप कारगर
- ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में चिरायता फायदेमंद
- खूनी बवासीर में लाभदायक
- चर्म रोग में चिरायता बहुत ही लाभदायक
- रक्तपित्त में चिरायता का पाउडर बहुत ही लाभदायक
- चिरायता कैंसर को नियंत्रित करने में भी कारगर
जानें कैसे तैयार करें चिरायता का काढ़ा
दरअसल, चिरायता का काढ़ा तैयार करने के लिए 10 से 15 ग्राम कच्चा या सूखा चिरायता (पूरा पौधा) लें. हालांकि मार्केट में इसका पाउडर भी उपलब्ध है, जिसको 3 से 5 ग्राम की मात्रा में लिया जा सकता है. अब इस पाउडर को 1 कप पानी में उस समय तक उबालते रहें, जब तक इसकी मात्रा 1/4 तक कम न हो जाए. इसके बाद काढ़े को छानकर पिएं.