‘Save Nature-Save Air’ का संकल्प: गौशाला में गोबर से तैयार किए गोकाष्ठ, लकड़ी की जगह होलिका दहन में किया जाएगा उपयोग

ग्वालियर के मुरार स्थित लाल टिपारा गौशाला मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी गौशाला है, जिसे आदर्श गौशाला का दर्जा प्राप्त है। यहां बड़ी संख्या में गोवंश होने के चलते गोबर की पर्याप्त उपलब्धता रहती है। गौशाला के संतों ने इस गोबर के जरिए गोकाष्ठ तैयार करने की योजना बनाई, इसके लिए जुगाड़ करते हुए ई-रिक्शा के मोटर का उपयोग किया और उसके माध्यम से गोबर को बिना किसी मिलावट के कम्प्रेस करते हुए गोकाष्ठ बनाना शुरू किया। जिसकी अब होलिका दहन में उपयोग के लिए काफी डिमांड आ रही है। काफी संख्या में शहरवासी गोकाष्ट खरीदने के लिए गौशाला पहुंच रहे हैं और एक-दूसरे को भी इसके प्रति जागरूक कर रहे हैं, ताकि पर्यावरण संरक्षण के साथ वायु प्रदूषण होने से भी रोका जा सके।

गौरतलब है कि हर साल होली पर्व के दौरान “सेव वाटर” यानी कि पानी की बर्बादी ना हो इसको लेकर लोगों को जागरूक किया जाता है, लेकिन मध्यप्रदेश की इस आदर्श गौशाला के जरिए लोगों को इस बार “सेव नेचर -सेव एयर” का संकल्प दिलाते हुए यह नवाचार किया गया है जिसकी हर जगह सराहना भी की जा रही है।

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