उज्जैन से 30 इलेक्ट्रिक बस चलाने की तैयारी, बसों के रूट तय


– 10 बसें शहर के भीतर, 20 शहर के बाहर तक चलेंगीं

– भोपाल, इंदौर, देवास, ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर मंदिर और विश्व की सबसे ऊंची सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा एवं भगवान शिव की मूर्ती दिखाने भी ली जाएंगीं

– महाकाल लोक एक्सप्रेस, भस्मारती एक्सप्रेस होंगे बसों के नाम
उज्जैन । मध्यप्रदेश की धर्मनगरी उज्जैन से महानगरों और प्रमुख पर्यटन स्थल को जोड़ने के लिए नगर निगम सीधी एयर कंडीशन युक्त इलेक्ट्रिक बस सेवा शुरू करने जा रहा है। रूट तय कर लिए गए हैं। बस आपरेटर तय करने को कागजी प्रक्रिया की जा रही है। नगर निगम आयुक्त रोशन कुमार सिंह ने ‘नईदुनिया’ से कहा है कि 10 बसें शहर के भीतर और 20 बसें देवास, इंदौर, भोपाल, ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर मंदिर, नाथद्वारा (स्टैच्यू आफ बिलीफ के नाम से प्रसिद्ध दुनिया की सबसे ऊंची भगवान शिव की प्रतिमा स्थल) और भरूच (स्टैच्यू आफ यूनिटी के नाम से प्रसिद्ध विश्व की सबसे ऊंची सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा स्थल) तक चलाई जाएंगी। कुछ बसों के नाम महाकाल लोक एक्सप्रेस, भस्मारती एक्सप्रेस होंगे। बसों में गाइड भी उपलब्ध होंगे, जो शहर और वहां की ऐतिहासिक धरोहरों की जानकारी यात्रियों को उपलब्ध कराएंगे। शहर में इलेक्ट्रिक बसों को चार्ज करने के लिए चार्जिंग स्टेशन की स्थापना की जाएगी। शहर के भीतर 32 यात्री क्षमता वाली और शहर के बाहर 52 बैठक क्षमता वाली बसें चलेंगीं। मालूम हो कि ईंधन की बचत, पर्यावरण सुधार और सड़क पर निजी वाहनों का दबाव कम करने के लिए सरकार निरंतर लोक परिवहन सेवा में सुधार कर रही है। इस सेवा को बढ़ावा देने का प्रयास भी कर रही है। इसी कड़ी में एक बार फिर उज्जैन शहर के भीतर और प्रमुख पर्यटन स्थलों तक इलेक्ट्रिक बस चलाने की तैयारी नगर निगम ने की है। ढाई महीने पहले हुई उज्जैन सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड (यूसीटीएसएल) बोर्ड की बैठक में महापौर मुकेश टटवाल ने मध्यप्रदेश और पड़ोसी राज्यों के प्रमुख धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों को सीधी बस सेवा से जोड़ने के लिए महाकाल लोक एक्सप्रेस और भस्म आरती एक्सप्रेस नाम से इलेक्ट्रिक बस संचालित कराने के निर्देश दिए थे। इसी कड़ी में कार्रवाई शुरू की गई। अगले कुछ सप्ताह में बस आपरेटर तय होने का दावा किया गया है। कहा गया है कि वीजीएफ वाइबलिटी गैप फंड के माध्यम से बसों की व्यवस्था होगी। इसमें उज्जैन सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड पर वित्तीय भार नहीं पड़ेगा। बस आपरेटर को टिकट कलेक्शन और बस पर विज्ञापन का अधिकार दिया जाएगा। बसों के माध्यम से श्री महाकाल महालोक, ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर का प्रचार-प्रसार होगा। पर्यटकों एवं श्रद्धालुओं के लिए ये एक बड़ी सौगात होगी। इससे पर्यटन और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। बसों की पोर्टल के माध्यम से बुकिंग की जा सकेगी।
बाक्स
दो वर्ष पहले भी की थी तैयारी, तब शासन से नहीं मिली थी 150 करोड़ की मदद
इलेक्ट्रिक बसों को चलाने की तैयारी दो वर्ष पहले भी नगर निगम की उज्जैन सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड (यूसीटीएसएल) कंपनी ने की थी। शहर के भीतर और शहर के बाहर 25-25 एसी इलेक्ट्रिक बसें चलाने को निविदा प्रक्रिया कर तेलंगाना की ऐवी ट्रांसपोर्ट प्रालि कंपनी से बसों का शहर में ट्रायल भी करवा लिया गया था, पर 150 करोड़ रुपये का इंतजाम न होने से संचालन रूक गया था। तब बसों को संचालित कराने के लिए यूसीटीएसएल ने सालाना 15 करोड़ रुपये की 10 किस्तों में 150 करोड़ रुपये प्राप्त करने के लिए कई मर्तबा मध्यप्रदेश शासन को पत्र भेजे थे। तत्कालीन निगम आयुक्त क्षितिज सिंघल ने कहा था कि शासन से मदद मिलने पर ही बसें चल पाएंगी। ऐवी ट्रांसपोर्ट प्रालि कंपनी ने 9 मीटर लंबी बस 68 रुपये 40 पैसे प्रति किमी और 12 मीटर लंबी बस 89 रुपये 10 पैसे प्रति किमी की दर चलाने का प्रस्ताव निविदा में दिया था। प्राप्त दर का आकलन अनुमानित आय से किया तो यह बात सामने आई कि 50 बस रोज चलाने पर निगम को 2.50 लाख रुपये आय होगी और खर्च 7.85 लाख रुपये से ज्यादा होगा। यानी औसत 5.35 लाख रुपये रोज का नुकसान। इस नुकसान को उठाने के लिए यूसीटीएसएल ने हाथ खड़े कर दिए थे। जोड़-घटाव कर पाया था कि बस संचालित करने पर यूसीटीएसएल पर हर साल 15 करोड़ रुपये का बोझ आएगा। इतनी राशि यूसीटीएसएल के पास थी नहीं, इसलिए तय किया था कि राशि शासन देगा तो ही बसें संचालित की जाएंगीं। और ये राशि नहीं मिली। बाक्स यह भी जानें नानाखेड़ा में बनेगा पार्किंग और चार्जिंग स्टेशन इलेक्ट्रिक बसों की पार्किंग और चार्जिंग स्टेशन नानाखेड़ा स्थित मौजूदा निजी बस स्टैंड वाली जमीन पर बनेगा। ये जमीन, उज्जैन विकास प्राधिकरण ने नगर निगम को हस्तांतरित की हुई है।

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