1 जनवरी से नए नियम… :- सप्लाई ज्यादा और टैक्स कम देने वाले व्यापारियों से अब सवाल-जवाब नहीं, सीधे वसूली की जाएगी

जीएसटी विभाग अब टर्नओवर को ही व्यापारियों की वास्तविक टैक्स की देनदारी मानेगा। इसी के आधार पर विभाग नए साल की पहली तारीख से ही लाखों व्यापारियों को डिमांड और रिकवरी के नोटिस (डीआरसी-07) भेजने जा रहा है। जीएसटी विभाग भोपाल संभाग-1 के ज्वाइंट कमिश्नर आरपी श्रीवास्तव ने बताया कि जिन व्यापारियों ने कम टैक्स जमा किया है, उन्हें रिकवरी नोटिस भेजे जाएंगे। नियमों में बदलाव हो गया है। हम हरेक रिटर्न की पड़ताल कर रहे हैं।

पहले… इनवाइस में हेरफेर करने से सरकार का 250 करोड़ का पेमेंट डिले

व्यापारी माल बेचने और मंगाने के लिए इनवाइस जारी करता है। वह हर महीने 10 से 15 तारीख के बीच फाइल होने वाले मासिक रिटर्न जीएसटीआर-1 में इन सभी की जानकारी भरता है। लेकिन केवल पांच दिन बाद जब टैक्स भुगतान के लिए जीएसटीआर-3बी फाइल करता है तो वह उन कई इनवाइस की जानकारी नहीं देता, जो पहले जीएसटीआर-1 में दी गई थी। नतीजतन उसकी टैक्स देनदारी कम बनती है। सूत्रों के मुताबिक मप्र में करीब 4.50 लाख पंजीकृत डीलर हैं। इनमें से हर साल करीब 2 लाख डीलर हेरफेर करते हैं। इससे सरकार को 200 से 250 करोड़ रु. का पेमेंट डिले हो जाता है। इसी हेरफेर को रोकने के लिए नियम बदले गए हैं, जो एक जनवरी से लागू हो रहे हैं।

अब… व्यापारी जो सप्लाई बताएगा, उसी की वास्तविक देनदारी मानी जाएगी

जीएसटी के मौजूदा नियमों में व्यापारियों को परेशानी नहीं हो रही थी, क्योंकि सप्लाई ज्यादा और टैक्स कम होने की जानकारी मिलने पर जीएसटी विभाग डिमांड नोटिस डीआरसी-1 भेजकर जानकारी मांगता था। स्पष्टीकरण से संतुष्ट न होने की स्थिति में व्यापारी को डिमांड और रिकवरी के लिए नोटिस डीआरसी-07 भेजा जाता था। लेकिन अब जीएसटी विभाग ने अपने अधिनियम 75(12) में संशोधन कर दिया है। इसके बाद अब यह माना जाएगा कि व्यापारी ने जो सप्लाई बताई है, उसी से उसकी वास्तविक टैक्स देनदारी मानी जाएगी, उसने मासिक रिटर्न जीएसटीआर-3बी में अगर उतना टैक्स जमा नहीं किया है तो विभाग जानकारी होते ही डिमांड खड़ी करके रिकवरी की प्रक्रिया शुरू कर देगा।

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