शहर के मास्टर प्लान 2035 को लेकर कवायद चल रही है, लेकिन मास्टर प्लान-2021 जैसा बनाया गया था उस पर पूरा अमल ही नहीं हो पाया। जिस लक्ष्य के साथ 2008 में यह बनाया गया था, उसका मात्र 41 प्रतिशत पालन हुआ है। खासकर सुविधाओं की दृष्टि से इस पर कोई काम नहीं हुआ। 15 में से एक भी जोनल प्लान आज तक लागू नहीं हुआ। मास्टर प्लान में बताई गई 12 मेजर रोड में से जो 2008 में अधूरी थी, वह आज भी हैं। इस दौरान शहर को न कोई नया स्टेडियम मिला न बड़ा खेल मैदान। कुमेड़ी में न नया रेलवे स्टेशन बन पाया न शहर के लिए किसी ट्रेंचिंग ग्राउंड की जमीन तय हो पाई।
शहर में समय के साथ आवासीय लैंडयूज तो भर गया, वाहनों की संख्या 30 लाख की आबादी में 19 लाख हो गई लेकिन नई सड़कें नहीं बनी। हां पुरानी कुछ सड़कें चौड़ी जरूर की गई, लेकिन उनको भी बतौर मुआवजे न तो टीडीआर, न ही बढ़ा हुए एफएआर का फायदा मिला। शहर के पुराने बाजारों को जो समय के साथ शहर के बाहर जाने थे, वे भी नहीं गए, जो गए उन्होंने दोनों जगह आज भी व्यापार चालू कर रखा है।
प्लानिंग कमजोर, क्रियान्वयन धीमा, इसलिए शहर का विजन धुंधला
खाका खींचा, पर हुआ नहीं
2021 के प्लान में यह बात लिखी गई थी कि- पुराने प्लान के कई महत्वपूर्ण विकास के बिंदुओं का अपेक्षित क्रियान्वयन नहीं हो पाया था, जिससे योजना के मूल प्रस्तावों का जमीन पर अमल नहीं हुआ। इसलिए अब नए प्लान में हम नीति निर्धारण करते हैं कि कैसे समयबद्ध विकास योजना पर अमल करेंगे।
जो काम 2010 में हो जाने थे, लेकिन नहीं हो पाए
- 5400 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण होना था। 70% में विकास होना थे, लेकिन नहीं हो सके।
- 80 किमी में नए मार्गों का निर्माण एवं कुछ पुराने मार्गों का सुधार भी प्रस्तावित था। एमआर-रोड ही अब तक भी नहीं बना पाई।
- कान्ह एवं सरस्वती नदी का पर्यावरणीय विकास 30 किमी एरिया में किया जाना प्रस्तावित था। रिवर फ्रंट कॉरिडोर भी आया लेकिन काम 30 प्रतिशत हुआ।
- 5 नए फ्लायओवर-आेवर ब्रिज का निर्माण किया जाना था।