मध्यप्रदेश कोरोना की तीसरी लहर के मुहाने पर खड़ा है। सरकार ओमिक्रॉन की जांच के सैंपल दिल्ली भेजने पर अड़ी हुई है। जबकि, जीनोम सिक्वेंसिंग की जांच की सुविधा इंदौर की प्राइवेट लैब में है। प्राइवेट लैब पर भरोसा नहीं होने का तर्क देकर इसे टाला जा रहा है। अरविंदो अस्पताल के सूत्रों की मानें तो इंदौर में ओमिक्रॉन के नौ केस आए हैं, वह इसी लैब में टेस्ट कराए गए थे। बाद में सरकार ने इसे दिल्ली लैब से कन्फर्म कराया, वहां भी ओमिक्रॉन की पुष्टि हुई। इसके बाद मध्यप्रदेश सरकार ने सार्वजनिक रूप से कबूला कि कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन आ गया है।
इंदौर के अरविंद मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर महक भंडारी ने इसकी पुष्टि कर दी है। उन्होंने बताया संक्रमित होने वाले लोग RT-PCR के आधार पर 8 से 9 हजार रुपए के बीच यह टेस्ट कराकर वैरिएंट की जानकारी ले सकेंगे। यदि सरकार भी टेस्ट के लिए सैंपल भेजेगी तो हम तीन से चार दिन में रिपोर्ट दे देंगे। संक्रमित लोग सीधे भी जांच करा सकते हैं। न्यू जीनोम सिक्वेंसिंग की मशीन से हम संक्रमित के वैरिएंट को बता पाएंगे। डायरेक्ट भी लोग जांच करा सकते हैं, इसकी परमिशन भी हमें NCCS पुणे से मिल गई है।
इधर, इस मामले में प्रदेश सरकार घिरते नजर आ रही है। उसने मात्र 15 सैंपल यहां भिजवाए। शेष सभी सैंपल दिल्ली या दूसरे शहर भेजे जा रहे हैं, जहां से महीनेभर में भी नियमित रिपोर्ट नहीं आ पा रही है।
हेल्थ डिपार्टमेंट के अफसरों के पास जवाब नहीं
अरविंदो अस्पताल में जीनोम सिक्वेंसिंग की सुविधा होने के बावजूद सैंपल दिल्ली भेजने को लेकर स्वास्थ्य विभाग के आयुक्त सुदामा खाडे़ से बात की तो उन्होंने लिखित में जवाब भेजने की बात की, लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया।
स्वास्थ्य विभाग की एडिशनल डॉयरेक्टर डॉ. वीणा सिन्हा को भी जानकारी के लिए मैसेज भेजा, लेकिन उन्होंने भी कोई जवाब नहीं दिया। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग से भी संपर्क किया, लेकिन उनके पीए ने उनके मीटिंग में होने की बात कही।