गणतंत्र दिवस पर सुबह हुए ध्वज फहराने के लिए मुख्य समारोह के बाद भी अलग—अलग संस्थाएं अपने स्तर पर विविध आयोजन कर रही हैं। इसी दिशा में राष्ट्रीय सेवा योजना यानी एनएसएस के स्वयंसेवियों ने भी तिरंगा यात्रा निकाल कर देश के प्रति अपनी भावनाओं का प्रदर्शन किया।
एनएसएस मुक्त इकाई के कार्यक्रम अधिकारी डा.देवांशु गौतम ने बताया कि एनएसएस के स्वयंसेवियों द्वारा हर साल तिरंगा यात्रा निकाली जाती है। जिसका उद्देश्य युवाओं को गणतंत्र दिवस का महत्व समझाना है। एनएसएस का प्रयास रहता है कि राष्ट्रीय त्योहार के रूप में युवा इसे केवल एक दिन ही न मनाएं बल्कि तिरंगे व देश के महत्व को आत्मसात भी करें। जब युवा तिरंगा यात्रा जैसी गतिविधि से जुडते हैं तब उन्हें हाथ में तिरंगा लेकर चलने में जो गर्व होता है उससे उनकी विचारधारा से लेकर देश के प्रति सोचने व समझने के तरीकों में बदलाव होता है।
हर बार जिस बडे स्तर पर यह यात्रा निकाली जाती है इस बार कोरेाना संक्रमण के खतरे को देखते हुए छोटे रूप में निकाला गया गया। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में एनएसएस कार्यक्रम समन्वयक डा.अशोक मराठे ने यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना गया। एनएसएस के स्वयंसेवियों ने हाथ में तिरंगा लेकर रादुविवि से डुमना नेचर पार्क तक की यात्रा की। इसके बाद एनएसएस स्वयंसेवी डुमना स्थित गांव गधेरी भी गए और वहां के लोगों को गणतंत्र दिवस का अर्थ समझाया।
साथ ही स्वच्छता, शिक्षा और कोरोना के दौरान मास्क लगाना कितना आवश्यक है इन बातों की जानकारी दी। डा.देवांशु गौतम ने बताया कि एनएसएस द्वारा युवाओं को समाज सेवा से जोडने का कार्य किया जाता है। इसी लिए गणतंत्र दिवस पर युवाओं को ग्रामीण क्षेत्र में ले जाकर वहां जागरूकता अभियान चलाया गया। इसके साथ ही छुटृटी होने पर डुमना नेचर पार्क में भी काफी लोग एकत्रित थे जिन्हें गणतंत्र दिवस का महत्व स्वयंसेवियों ने तिरंगा यात्रा के जरिए समझाया।