महात्मा गांधी का सत्य में सबसे अधिक था विश्वास

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्य तिथि पर राष्ट्रीय शांति आंदोलन द्वारा रोटरी इंटरनेशनल मंडल 3040 की ‘पीस एंड कांफ्लिक्ट रिसोल्यूशन/प्रीवेंशन’ मंडल कमेटी एवं रोटरी क्लब आफ इंदौर मालविका द्वारा तीन विदसीय वैश्विक शांति अधिवेशन का आयोजन किया जा रहा है।

इस आयोजन में शहर के 30 और देश-विदेश के 500 से अधिक प्रतिभागी इंटनरनेट मीडिया के माध्यम से शामिल हुए।

वैश्विक शांति अधिवेशन का प्रारंभ विश्व शांति के लिए प्रार्थना एवं महात्मा गांधी के प्रिय भजन से हुआ। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता अनुराधा शंकर ने गांधी और धर्म विषय पर कहा कि ‘बापू स्वयं को सनातनी हिंदू कहते थे और आध्यात्मिकता के साथ हिंदू धार्मिक कर्मकांड का भी अभ्यास करते थे परंतु वे अन्य धर्म के लोगों से मिलते समय वे उनके नजरिए से चीजों को देखने और समझने का प्रयास करते थे, इसलिए वे कहते थे कि सनातनी हिंदू होने के साथ मैं ही मुस्लिम, ईसाईल पारसी, सिख और बहाई भी हूं।’ महात्मा गांधी का सत्य में सबसे अधिक विश्वास था। वे कहते थे जिस धर्म में सत्य नहीं वह धर्म नहीं है।

आयोजन में अलास्का से राजदूत रोनाल्ड एफ और डिस्ट्रिक्ट गर्वनर कर्नल महेंद्र मिश्रा ने भी संबोधित किया। प्रो. मथाई एमपी ने कहा कि गांधी एक शांति नेता थे, हालांकि वे अपने समय की सबसे बड़ी शक्ति, ब्रिटिश साम्राज्य के साथ एक महान लड़ाई में शामिल थे। उनके लिए विरोधी, जिनमें अंग्रेज भी शामिल थे, दुश्मन नहीं बल्कि दोस्त थे। गांधी का मानना था कि न्याय के बिना हर तरह से शांति नहीं है। आज भारत को शांति के पोषण के लिए धर्मों के प्रति गांधी के दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता है। गुजरात विद्यापीठ के पूर्व कुलपति सुदर्शन अयंगर ने ‘गांधी के भाईचारे के विचार’ विषय पर कहा कि मनुष्य को पहले मनुष्य के रूप में देखने की आवश्यकता है ना कि धर्म के दृष्टिकोण से।

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