मध्य प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों की तरक्की का माध्यम बनेगे राजमार्गो के बाइपास, स्वीकृति दी जाए

मध्य प्रदेश में जिस तेजी के साथ राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण हो रहा है, वे आर्थिक विकास के लिए मील का पत्थर साबित होंगे। कई परियोजनाओं को केंद्र सरकार ने स्वीकृति दी है।

भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और उज्जैन के एक हिस्से में बाइपास बने हैं लेकिन रिंग रोड बनाने की आवश्यकता है। इनके बनने से शहरी क्षेत्र में यातायात का दबाव कम किया जा सकेगा। वहीं 56 निकायों में राष्ट्रीय राजमार्ग के बाइपास बन चुके हैं या निर्माणाधीन हैं। एकमुश्त योजना में इनके विकास के लिए 747 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी जाए। यह अनुरोध मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को दिल्ली में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात में किया। यहां केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर भी मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने बताया कि ग्वालियर-चंबल क्षेत्र से गुजरने वाला 404 किलोमीटर लंबा अटल प्रगति पथ मध्य प्रदेश के विकास को गति देगा।

चंबल और ग्वालियर क्षेत्र के समग्र विकास में यह महत्वपूर्ण सिद्ध होगा और क्षेत्र के नगरों, कस्बों और छोटे-बड़े सभी गांवों की अर्थव्यवस्था में परिवर्तन आएगा। प्रदेश के 56 नगरीय क्षेत्रों से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों के बाइपास निर्माण से आर्थिक प्रगति होगी। वर्ष 2021-22 की कार्ययोजना में 22 शहरों के भीतरी भागों के विकास कार्यों के लिए दो सौ करोड़ का प्रविधान किया गया है। सीएम ने कहा कि अटल प्रगति पथ के भूमि अधिग्रहण की दिक्कतों को दूर किया गया है। पांच शहरों के बाइपास पर भी चर्चा हुई है। केंद्रीय मंत्री ने भरोसा दिलाया है कि वे प्रदेश की हर संभव सहायता करेंगे।

राष्ट्रीय राजमार्ग के विकास के लिए 747 करोड़ की मांग

सीएम ने अनुरोध किया कि नगरीय क्षेत्रों के भीतर से गुजरने वाले 262 किमी लंबाई के राष्ट्रीय राजमार्ग के विकास के लिए एकमुश्त योजना में 747 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी जाए। इनका विकास होने से बाइपास से बेहतर कनेक्टिविटी उपलब्ध हो सकेगी। वहीं, भोपाल में मंडीदीप से देवास तार्ग तक 41 किलोमीटर, इंदौर में बाइपास, जबलपुर में बाइपास, ग्वालियर में 28 किलोमीटर लंबा बाइपास और सागर में भोपाल-सागर-कानपुर को जोड़ने वाले 28 किमी लंबाई के बाइपास निर्मित होना है। इन्हें भारतमाला परियोजना के पहले चरण में स्वीकृति दी जाए।

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