उज्जैन ने महाशिवरात्रि पर एक साथ 11.71 लाख दीपक जलाकर विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किया। इसके लिए अलग-अलग शहरों से करीब 14 लाख दीये मंगवाए गए थे। रात को दीपक जलाने के बाद बुधवार सुबह तक लाखों दीपक घाटों पर कचरे के ढेर में तब्दील दिखे।
रात में सफाई नहीं हुई। इस कारण घाटों पर दीपक से निकले तेल की वजह से घाट पर फिसलन होने लगी। इस बीच, कई श्रद्धालु नहाने के लिए घाटों पर पहुंचने लगे, तो निगम की टीम ने सुबह सात बजे दीपक उठाने का काम शुरू किया। हैरत की बात ये है कि जिन दीयों से कलाकृति बनाने की बात कही जा रही है, उन दीपकों को कचरे के ढेर में भरकर ले जाया गया।
आमजन तय करेंगे, कौन सी कलाकृति बनाई जाए
नगर निगम इन दीपकों को फेंकने या नदी में बहाने से मना करने के बाद निर्णय लिया था। बाद में सभी दीपकों से विश्व रिकॉर्ड की याद में कलाकृति बनवाने का फैसला लिया गया, ताकि शहरवासी इस इतिहास को याद रखें। नगर निगम कमिश्नर अंशुल गुप्ता ने बताया कि दीपकों से कलाकृति बनेगी। इसके लिए दीपकों को घाट से इकट्ठा कर सुरक्षित रखवा लिया है। कलाकृति के बारे में आमजन से राय लेकर पार्क या अन्य चौराहों पर वेस्ट दीपकों से कलाकृति बनाई जाएगी।
घाटों पर हुई फिसलन
मंगलवार देर रात तक शहरवासी जलते हुए दीपकों को निहारने के लिए पहुंचे थे, लेकिन निगम के कर्मचारियों ने दीपक को उठाने में देर कर दी। कई दीपक लोगो के पैरों के नीचे आते रहे। अल सुबह तक दीपों को उठाया नहीं गया। इस बीच कई श्रद्धालु घाटों पर स्नान करने पहुंच गए। दीपों से गिरे तेल के कारण घाटों पर फिसलन भी रही।