अशोकनगर की बेटी ऋषिका यूक्रेन से कई दिनों के सफर के बाद अपने घर लौट आई। ऋषिका सुबह 10 बजे अशोकनगर पहुंची सबसे पहले तार वाले बालाजी मंदिर में भगवान के दर्शन किए। फिर अपने घर पहुंची जहां मां एवं अन्य परिजन बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। घर के बाहर रंगोली सजी थी। मां ने फूल माला पहनाकर बेटी की आरती उतारकर स्वागत किया। ऋषिका के घर पहुंचते ही मां उससे लिपट कर रो पड़ी। ऋषिका ने मां को समझाया।
यह रहा पूरा सफर
ऋषिका ने भास्कर को बताया की वह विनिसिया नेशनल पिरोगोव मेडिकल यूनिवर्सिटी के होस्टल में थे। गुरुवार को अचानक से सायरन बजा और सभी को हॉस्टल के अंदर कर दिया गया। कुछ समय मिला, जिसमें खाने पीने की चीजें खरीदी। वहीं अंदर छुपी रहे, जहां से धमाकों की आवाज सुनी। अगले दिन भारत के अन्य साथियों के साथ बस में तिरंगा लगाकर रोमानिया के लिए निकल गए। लगभग 6 घंटे से अधिक समय तक का सफर बस में किया। इसी बीच प्रत्येक घंटे पर चेकिंग हुई। जिसमें भारत के तिरंगा होने की वजह से अंदर कोई बस के अंदर नहीं आया। लेकिन बाहर से ही पासपोर्ट चेक करके जाने दिया। बॉर्डर से 10 किलोमीटर दूर सभी स्टूडेंट्स को बस से उतार दिया। लगभग 10 किलोमीटर तक पैदल चले। बॉर्डर पार करने के लिए 10 घंटे से अधिक चेकिंग चली। वहां से बुखारेस्ट एयरपोर्ट के लिए बस से निकले। जिसमें लगभग 8 घंटे से अधिक समय तक सफर किया। वहां से फ्लाइट से मुंबई आए। जो लगभग 10 घंटे का सफर रहा। ऋषिका मुंबई में ही भाई के पास रुक गई। बुधवार को मुंबई से ट्रेन से अशोकनगर के लिए निकली। बीना रेलवे स्टेशन पर ऋषि के पिता अनिल खंतवाल बेटी को लेने पहुंचे। फिर वे वहां से अशोकनगर आ गए।
ऋषिका ने कहा देश पर गर्व है
जब यूक्रेन से बस में सवार होकर बस में तिरंगा लगाकर चले तब एहसास हुआ कि हमारी कंट्री की पावर कितनी है। तिरंगा लगा होने की वजह से कहीं भी रोका नहीं गया। बल्कि कई जगह तो अपने देश वापस पहुंचाने में वहां के लोगों ने भारत का नाम सुनते ही सहयोग भी किया। ऋषिका ने पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, डॉक्टर के पी यादव और विधायक जजपाल सिंह जज्जी का आभार व्यक्त किया।