प्रतिबंध के बावजूद बाजार में बिक रहे सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पाद

राजधानी के बाजार में धड़ल्ले से प्रतिबंधित प्लास्टिक बिक रही है। रोक का जरा भी भय नहीं दिखाई दे रहा है। निगम व राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम को 14 दिन में सिर्फ 211 किलोग्राम प्रतिबधित प्लास्टिक मिली है।

यह जानकारी निगम व पीसीबी की ओर से दी गई और दावा किया है कि एक लाख 800 रुपये जुर्माना वसूल किया है।

दरअसल, एक जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी 18 तरह की सामग्री पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है। इनका निर्माण, परिवहन, उपयोग व बिक्री नहीं की जा सकती है। तब भी पुराने व नए भोपाल में कुछ दुकानदारों के पास हजारों किलोग्राम प्लास्टिक स्टाक में है, जिस पर कि प्रतिबंध लग चुका है। इन पर रोक के लिए नगर निगम के 19 जोन में अलग-अलग टीमें बनाई है। जिनमें सात से लेकर 40 तक सदस्य है, जो 14 जुलाई तक 14 दिन में 2484 निरीक्षण कर चुके हैं। जिसमें 756 लोगों को नियमों के खिलाफ प्रतिबंधित प्लास्टिक बेचते, उपयोग करते, परिवहन करते पकड़ा गया है।

इस सामग्री पर लगा है प्रतिबंध

सिंगल यूज प्लास्टिक से बने झंडे, प्लेटें, कप, गिलास, कटलरी जैसे कांटे, चम्मच, चाकू, ट्रे, मिठाई के बक्से, निमंत्रण कार्ड, सिगरेट के पैकेट पर लपेटे जाने वाली फिल्म, 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक व पीवीसी बैनर, स्टिक, गुब्बारे के लिए बनाई जाने वाली प्लास्टिक स्टिक, कैंडी की प्लास्टिक स्टिक, आइसक्रीम की स्टिक, सजावट के लिए थर्माकोल की सामग्री पर प्रतिबंध लग चुका है। इनका उत्पादन, परिवहन, बिक्री व उपयोग नहीं कर सकते। यदि करते पाए गए तो 50 रुपये से लेकर 50 हजार रुपये तक जुर्माना लग सकता है। स्थानीय निकाय स्थिति को देखते हुए जुर्माना की राशि बढ़ा सकते हैं। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि सिंगल यूज प्लास्टिक की सामग्री के स्थान पर पत्ते व गन्ने की बगास से तैयार दोने, पत्तल। क्राकरी सामग्री, स्टील के बर्तन, मिट्टी से बने गिलास, कांच के बर्तन और कागज के दोने का उपयोग कर सकते हैं।

यह है प्रतिबंध की वजह

सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पाद गलते नहीं और लंबे समय तक पर्यावरण में बने रहते हैं। जब ये जमीन में होते हैं तो जल संचय क्षमता कम करते हैं। उपजाऊपन घटा देते हैं। जमीन बंजर की तरह हो जाती है। थमे हुए पानी में रहते हैं तो घुलित आक्सीजन का स्तर कम कर देते हैं। इनमें पाए जाने वाले पेट्रो केमिकल्स पानी में मिलते हैं, जिसके कारण जलीय जीवों पर संकट आ जाता है।

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