सावन मास में आगामी 26 जुलाई का आने वाली शिवरात्रि पर विश्व भर के सभी श्रद्धालुओं के द्वारा पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजन-अर्चन का आयोजन किया जाएगा। भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा के द्वारा लगातार दूसरे साल भी सावन मास में जारी 7 दिवसीय सावन शिव महापुराण के माध्यम से यह संदेश दिया गया था कि सावन के पवित्र मास में मंगलवार को मासिक शिवरात्रि पावन अवसर होने से रात्रि 7 बजे से अत्यंत शुभ मुहूर्त में घरों में पार्थिव शिवलिंग बनाकर उनका रुद्राभिषेक करने से अनेकों फायदे होते हैं। घर में सुख-शांति वैभव बना रहता है।
इस साल सावन की शिवरात्रि का विशेष महत्व है और माता पार्वती और मां गंगा दोनों ही भगवान शिव के चरण छू रही है। उन्होंने बताया कि सामूहिक रूप से किसी आराध्य की पूजा का तत्काल फल मिलता है। गत वर्ष कोविड के बाद भी आस्था के साथ भव्य आयोजन किया गया था, देश ही नहीं विश्व में भी श्रद्धालुओं के द्वारा करोड़ों पार्थिव शिवलिंगों का निर्माण कर पूजन किया गया था, इस साल उससे दोगुना उत्साह दिखाई दे रहा है।
जिला मुख्यालय के पास चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में जारी शिव महापुराण के द्वारा भागवत भूषण पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि शिव आराधकों के लिए महाशिवरात्रि का बड़ा महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि की मध्य रात्रि को ही भगवान शिवलिंग रूप में प्रकट हुए थे।
माना जाता है कि इसी समय ब्रह्मा और विष्णु के द्वारा पहली बार शिवलिंग का पूजन किया गया था। लेकिन एक वर्ष में एक महाशिवरात्रि और 11 शिवरात्रियां होती हैं, जिन्हें मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। मासिक शिवरात्रि हर माह में एक बार आती है। इस तरह से 12 शिवरात्रि होती हैं। हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर शिवरात्रि मनाई जाती है, जिसे मासिक शिवरात्रि कहा जाता है। मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं और शास्त्रों के अनुसार देवी लक्ष्मी, सरस्वती, इंद्राणी, गायत्री, सावित्री, पार्वती और रति ने शिवरात्रि का व्रत किया था और शिव कृपा से अनंत फल प्राप्त किए थे।