उज्जैन की शिप्रा नदी में अब कान्ह नदी का दूषित पानी नहीं मिलेगा। भक्त साफ पानी में डुबकी लगा सकेंगे और आचमन भी कर पाएंगे। कान्हा नदी डायवर्शन क्लोज डक्ट परियोजना को कैबिनेट बैठक में स्वीकृति दी गई।छह साल बाद लगने वाले सिंहस्थ के लिए यह सारी कवायद सरकार अभी से शुरू करने जा रही है। सिंहस्थ में लाखों भक्त स्नान के लिए आते है। पिछले सिंहस्थ में सरकार ने शिप्रा नदी में नर्मदा नदी का पानी प्रभावित किया था।
इन्दौर के समीप बहने वाली कान्ह नदी के दूषित जल को शिप्रा नदी में मिलने से रोकने के लिए जल संसाधन विभाग की 598 करोड़ की परियोजना को मंजूरी दी है। कान्ह नदी में इन्दौर शहर एवं औद्योगिक क्षेत्र का प्रदूषित जल मिलता है। कान्ह नदी आगे चल कर उज्जैन के समीप क्षिप्रा में मिलती है। शिप्रा नदी के जल को कान्ह नदी के दूषित जल से बचाने के लिये कान्ह नदी डायवर्शन क्लोज डक्ट परियोजना तैयार की गई है। इस प्रोजेक्ट को वर्ष 2028 के महाकुंभ सिंहस्थ के मद्देनजर अभी मंजूरी दी गई है, ताकि तब तक काम पूरा हो सके।
16 किलोमीटर की चैनल करेगी दूषित पानी शहर से बाहर
इस योजना के अन्तर्गत कान्ह नदी के दूषित जल को शिप्रा नदी में मिलने से रोकने के लिए उज्जैन के गोठड़ा गांव के समीप एक स्टॉप डेम बनाया जाएगा और दूषित जल को उज्जैन के शहरी क्षेत्र में मिलने से रोका जाएगा। उज्जैन की सीमा के कालियादेह गांव के समीप फिर शिप्रा नदी में कान्ह नदी का पानी नहीं मिलने दिया जाएगा। इसके लिए कान्ह नदी के 40 क्यूसेक पानी को हर दिन डायवर्ट किया जा सकेगा।
परियोजना के अन्तर्गत 100 मीटर लम्बाई में एप्रोच चैनल का निर्माण, 16.5 किमी लम्बाई में 4.5 मीटर आकार के भूमिगत आरसीसी बॉक्स का निर्माण होगा। अंतिम 100 मीटर लम्बाई में ओपन चैनल का निर्माण किया जाएगा।
WhatsApp Group और Telegram Channel ज्वाइन करें और Facebook को like करें।