इंदौर के महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में 5 महीने पहले एक रैगिंग का मामला सामने आया था।
इस मामले में जब कॉलेज और विश्वविघालय से कोई भी मदद नहीं मिली तब पुलिस ने फिल्मी अंदाज में आरोपियों को पकड़ने का एक प्लान तैयार किया। पुलिस ने अपनी खुफिया टीम को स्टूडेंट बनाकर कॉलेज में भेजा, काफी मशक्कत के बाद टीम ने रैगिंग करने वाले 10 सीनियर स्टूडेंट्स को गिरफ्तार कर लिया।
मामला इंदौर के संयोगितागंज थाना क्षेत्र के एमजीएम मेडिकल कॉलेज का है। 24 जुलाई को पुलिस को कॉलेज में रैगिंग की शिकायत मिली थी। पीड़ित स्टूडेंट ने यूजीसी से रैगिंग की शिकायत की थी। इस पर यूजीसी ने कॉलेज मैनेजमेंट को चिट्ठी भेजी। डीन ने इंदौर पुलिस को शिकायत फॉरवर्ड एफ आई आर करा दी।
परेशानी यह थी कि पुलिस को न आरोपियों के नाम बताए गए और न ही फरियादी की पहचान। सबूत के तौर पर सिर्फ वॉट्सएप चैट के स्क्रीनशॉट्स दिए गए थे। पुलिस भी यह समझ नहीं पा रही थी कि किसे पकड़े और पूछताछ की शुरूआत कैसे करे। आखिर संयोगितागंज थाना पुलिस ने आरोपियों को पकड़ने की तरकीब निकाली और एक स्पेशल टीम को कॉलेज के छात्र- छात्राओं के बीच भेज दिया ।
24 साल की अंडरकवर पुलिस वाली शालिनी चौहान ने तीन महीने कॉलेज में छात्र बन कर रहने के बाद 11 सीनियरों की पहचान की जो प्रथम वर्ष के जूनियर्स के साथ रैगिंग कर रहे थे, जिनमें से 10 को गिरफ्तार किया गया और एक अब भी फरार है।
पुलिस ने बताया कि सिनियर्स गूगल लोकेशन भेज अपने निजी फ्लैट पर जूनियर्स को बुलाते थे और परेशान करते थे। छात्रों ने इसी डर से सीधा यूजीसी को शिकयत की और मेल के जरिए बताया कि आरोपित सिनियर्स उन्हें प्रताड़ित करते हैं और आपत्तिजनक सामाग्री पर छात्राओं के नाम लिखवाते हैं। सिनियर्स रोजाना जूनियर्स को शेविंग करने के लिए बुलाते थे। बात करते वक्त आँखे नीचे झुका कर रखना पड़ता था। यहां तक की जूनियर्स को तकिया के साथ वक्त गुजारने का दबाव बनाया जाता था। इस मामले को यूजीसी ने गंभीरता से लिया और पुलिस में एफआइआर दर्ज कराया।
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