पिछले साल अक्टूबर में मैनिट से पकड़ा बाघ अब बाघ विहीन हो चुके माधव नेशनल पार्क में अपना कुनबा बढ़ाएगा। इस बाघ को 9 मार्च यानी गुरुवार को सतपुड़ा नेशनल पार्क से शिवपुरी ले जाया जाएगा। इस दौरान सुरक्षा बंदोबस्त और डॉक्टरों की एक टीम भी साथ रहेगी। अधिकारियों का कहना है कि माधव नेशनल पार्क का पर्यावरण बाघ के रहवास के अनुकूल हैं।
गतिविधियों पर नजर रखने के लिए इस बाघ को सेटेलाइट रेडियो काॅलर पहनाया गया हैं। हालांकि टीम अक्टूबर से इस बाघ की मॉनिटरिंग कर रही है जिसमें पता चला है कि 4 साल का यह वयस्क बाघ पूरी तरह वाइल्ड और आक्रामक प्रवृत्ति का है और जहां रहेगा वहां अपनी सत्ता जमा लेगा। इसलिए ही इस बाघ को माधव नेशनल पार्क में बाघों के पुनर्वास के लिए चुना गया है।
डॉक्टरों का एक दल भी रहेगा वन विभाग की टीम के साथ, दो बाघिनें भी छोड़ी जाएंगी यहां
कूनों की तर्ज पर होगी मॉनिटरिंग
सतपुड़ा नेशनल पार्क के डायरेक्टर एल कृष्ण मूर्ति ने बताया कि कूनो के चीतों की तर्ज पर इस बाघ की मानीटरिंग की जाएगी। इसके लिए इसे सेटेलाइट रेडियो कॉलर पहनाया गया है। जिसके जरिए माधव नेशनल पार्क और सतपुड़ा टाइगर प्रबंधन इस बाघ पर नजर रख सकेगा। बता दें कि कूनो के चीतों पर कूनो प्रबंधन, चीता कंजर्वेशन फंड ऑफ नामीबिया भी नजर रखे है।
पन्ना और पेंच नेशनल पार्क से पहुंचेगी बाघिन
माधव नेशनल पार्क में बाघों का कुनबा बढ़ाने के लिए पन्ना और पेंच नेशनल पार्क से बाघिन को रेस्क्यू करके छोड़ने की तैयारी की जा रही है। इधर, उड़ीसा से आई बाघिन सुंदरी के नाम पर भी विचार किया जा रहा है। बता दें कि अब तक बाघ विहीन हो चुके तीन पार्कों और सेंचुरी में बाघों का पुनर्वास किया जा चुका है। जिसमें पन्ना नेशनल पार्क, संजय दुबरी टाइगर रिजर्व और नौरादेही सेंचुरी शामिल है।
मप्र में सबसे ज्यादा बाघ
मप्र देश का पहला ऐसा राज्य है, जहां बाघों के अलावा बारासिंगा, चीतल और नीलगाय का पुनर्वास हुआ है। प्रदेश में सबसे ज्यादा 526 बाघ और 3421 तेंदुए हैं।