सुसनेर। मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन जी यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन वर्ष २०८१, से घोषित *गो रक्षा वर्ष* के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा,श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर स्थित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें *एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 118 वे दिवस पर श्रोताओं को सम्बोधित करते हुए स्वामी गोपालानंद सरस्वती जी महाराज ने हरियाली अमावस्या के शुभ अवसर पर सभी को बहुत बहुत बधाई प्रेषित की। महाराज जी ने आज कथा में कहा की हरियाली अमावस्या हमारा मन हरा रहे है इस बात का प्रतीक है । मन हरा मतलब खुशहाल रहे। मन खुशहाल तभी रहेगा जब हमारे जीवन में गोमाता रहेगी। प्रकृति के संरक्षण में गोमाता की बहुत अधिक महत्ता है। पुराने समय में भारत का प्रत्येक किसान गो आधारित खेती से जुड़ा था। जब से हमने रासायनिक खाद का उपयोग करना प्रारंभ किया तब से विभिन्न बीमारियों ने जकड़ लिया। समय रहते हम पुनः अपनी पौराणिक गो आधारित कृषि को नहीं अपनाएंगे तो स्थिति और अधिक भयावह हो जाएगी।
भारत का प्रत्येक त्यौहार प्रकृति के साथ सौहार्द का भाव लेकर आता है। हरियाली अमावस्या के दिन ठाकुर जी बाग में जाकर झूला झूलते है। विभिन्न स्थानों पर यह उत्सव धूम धाम से मनाया जाता है।
आज कथा में महाराज जी ने कहा कि कभी कोई सनातनी किसी पर हमला नही करता है और यदि कोई हमला करता तो पहले यही प्रयास करता है की बातचीत से समस्या का समाधान हो जाए। सनातनी हमेशा अहिंसा का समर्थक रहा है लेकिन यदि धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करनी पड़े तो उसके लिए वह पीछे भी नही हटता है। यह बात हमारे धर्म ग्रंथों में स्पष्ट लिखी है।
एक गोमाता को बचाने में 100 गोमाता के दान के बराबर फल प्राप्त होता है। जो व्यक्ति गोमाता के लिए गोचर भूमि छोड़ता है उसे अश्वमेघ यज्ञ का लाभ मिलता है।
केवल कपड़े से कोई साधु नही होता है। उनके रज और तम गुण जब तक समाप्त नही होंगे वह साधु नही है। रज और तम गुणों को समाप्त करने का एक ही साधन है वह है गोमाता का सानिध्य, गोमाता की सेवा, गोगव्यो का पान।
गोमाता और साधु में एक समानता है। गोमाता कुछ भी खा ले, लेकिन हमें वह पवित्र गोबर ही देती है। सुखा भूसा चारा खाले फिर भी वह अमृत जैसा दूध प्रदान करती है। ठीक इसी प्रकार साधु को कोई कुछ भी कह दे वह आशीर्वाद ही प्रदान करते है। दूसरो की सहायता करना संत का स्वाभाविक गुण होता है।
*118 वे दिवस पर महामंडलेश्वर पूज्य स्वामी अखिलेश्वरा नन्द गिरी जी महाराज
पूर्व अध्यक्ष मध्य प्रदेश गो संवर्धन बोर्ड,ट्रस्टी समन्वय सेवा ट्रस्ट (भारत माता मंदिर हरिद्वार)
समन्वय सेवा केन्द्र जबलपुर ने अपने आशीर्वचन में बताया कि हरियाली अमावस्या वास्तविक रूप से प्रकृति संरक्षण का महत्त्व पूर्ण दिवस है और आज के दिन लगाया गए वृक्ष का बहुत महत्त्व होता है ।
स्वामीजी ने बताया कि भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी ने एक वृक्ष मां के नाम लगाने का आह्वान किया था उसी आव्हान के तहत हमने मध्यप्रदेश की सभी गो शालाओं में एक वृक्ष जन्मदात्री मां के नाम दूसरा वृक्ष भारत के नाम एवं तीसरा वृक्ष गोमाता के नाम लगाने का आग्रह किया है।
हरियाली अमावस्या के पुनीत अवसर पर पूज्य स्वामी डॉक्टर गिरिजा नन्द सरस्वती जी महाराज स्वामी मानस पीठाधीश्वर मानस पीठ मानस ताल(पुटा ताल जबलपुर) का भी आशीर्वाद मिला ।
कथा के बाद महामंडलेश्वर पूज्य स्वामी अखिलेश्वरानन्द जी महाराज, पूज्य गिरिजानंद जी सरस्वती,पूज्य देवानंद जी सरस्वती एवं ग्वाल सन्त गोपालानंद सरस्वती जी महाराज गो अभयारण्य में मंत्रोचार के साथ वृक्षारोपण किया
*अतिथि के रूप में समन्वय परिवार आगर के उपाध्यक्ष श्री दिलीप सोनी एवं सचिव राजेन्द्र विश्वकर्मा उपस्थित रहें*
*श्रावण कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी पर शिवसहस्त्राहुती यज्ञ ,पार्थिव शिव लिंग पूजन एवं रुद्राभिषेक
ममता देवी-शिवराज धेडू(जोरावर पुरा),गायत्री देवी-रामधन छाबा(जोरावर पुरा) एवं कोटा DCM निवासी सुमित कुमार ने एकादश विद्वान पंडितों द्वारा संपन्न करवाया*
*118 वे दिवस पर चुनरी यात्रा मध्यप्रदेश के आगर जिले से*
एक वर्षीय गोकृपा कथा के 118 वें दिवस पर मध्यप्रदेश के आगर जिले की सुसनेर तहसील के सोयत कलां से मेडतवाल गुप्ता समाज सोयत कलां से राजेश गुप्ता,गिरीराज गुप्ता,संजय गुप्ता,सचिन गुप्ता, ,राजेश गुप्ता(ऑयल मिल वाले),फूल चन्द गुप्ता,घनश्याम गुप्ता,कमल गुप्ता,मनीष गुप्ता,मुकेश गुप्ता, ओम प्रकाश गुप्ता एवं अंकित गुप्ता एवं मेडतवाल समाज की महिला मण्डल एवं बोरखेड़ी कांवक की मातृशक्ति व महर्षि दयानन्द ज्ञान मन्दिर आंबादेव(बडौद)के बालक बालिकाओं ने अपने देश,राज्य एवं ग्राम के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।