सरपंच साहब! चुनाव तक ‘भूतपूर्व’ ही रहेंगे:- 2 दिन में सरकार ने फैसला पलटा, वित्तीय अधिकार छीने; पहले पंचायत समिति के नाम पर दिए थे अधिकार

राज्य सरकार ने पंचायत के संचालन की जिम्मेदारी प्रधान प्रशासकीय समिति से वापस ले ली है। दो दिन पहले ही समितियों को यह अधिकार दिए गए थे। इसमें सरपंचों को वित्तीय अधिकार भी दिए गए थे। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने अपने फैसले को निरस्त कर दिया है।

प्रदेश में पंचायत चुनाव निरस्त होने के बाद पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने पंचायतों में कार्यों के संचालन के लिए प्रधान प्रशासकीय समिति की व्यवस्था लागू की थी। विभाग ने 4 जनवरी को आदेश जारी कर सरपंच व सचिव के संयुक्त हस्ताक्षर से बैंक खातों का संचालन करने का अधिकार दिया गया था। जनपद और जिला पंचायत स्तर पर भी यही व्यवस्था लागू की गई थी।

प्रदेश में मार्च, 2020 में ही 22, 604 पंचायतों में सरपंच और पंच का कार्यकाल पूरा हो चुका है। इसी तरह 841 जिला और 6774 जनपद पंचायत सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो गया है। नियमानुसार यहां चुनाव हो जाने चाहिए थे पर किसी न किसी कारण से ये टलते रहे हैं।

राज्य निर्वाचन आयोग ने जनवरी में चुनाव कराने की तैयारी की थी, लेकिन ये भी नहीं हो पाए। आदर्श आचार संहिता भी समाप्त हो चुकी है। पंचायतों में कार्य प्रभावित न हों इसके लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने पूर्व सरपंच को ही प्रधान बनाकर अधिकार दिए हैं। इसके लिए प्रशासकीय समिति बनाने की व्यवस्था बनाई है। पंचायत सचिव और प्रधान प्रशासकीय समिति के संयुक्त हस्ताक्षर से पंचायत के खातों का संचालन किया जाएगा।

पंचायतों के संचालन पर फिर सस्पेंस

इस आदेश के बाद मध्य प्रदेश में एक बार फिर पंचायतों के संचालन को लेकर सस्पेंस शुरु हो गया है। क्योंकि पिछले आदेश को निरस्त करने के बाद इस बात का कोई आदेश जारी नहीं किया है। जिसमें पंचायतों के संचालन की जिम्मेदारी किसे दी जाएगी. फिलहाल अब सरकार की तरफ से नया आदेश जारी होने का इंतजार है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here