उज्जैन के भैरवगढ़ की 400 साल पुरानी कपड़ा छपाई कला जल्दी ही औद्योगिक स्वरूप लेगी। राज्य सरकार के एक जिला एक उत्पाद अभियान में भैरवगढ़ प्रिंट को शामिल करने की तैयारी की जा रही है। यह पुरानी कला उद्योग के स्वरूप में विकसित होने से न केवल पारंपरिक कलाकर्म का संरक्षण होगा बल्कि रोजगार के नए अवसर भी बढ़ेंगे।
राज्य शासन ने औद्योगिकीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए हर जिले में ऐसे उद्योगों को चुना है जो उस क्षेत्र की पहचान बन गए हैं। उन उद्योगों को और आगे बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने एक जिला एक उत्पाद अभियान शुरू किया है। उज्जैन जिले के लिए पोहा उद्योग को चुना गया था। उज्जैन का पोहा देशभर में सप्लाई होता है।
पोहा उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए कलेक्टर आशीष सिंह ने पोहा उद्योगपतियों के साथ कई दौर की बातचीत की लेकिन उद्योगपतियों और प्रशासन के बीच सहमति नहीं बन पाई। नतीजतन राज्य सरकार के अभियान का फायदा उज्जैन को नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में एक जिला एक उत्पाद अभियान में भैरवगढ़ प्रिंट को शामिल करने के सुझाव राज्य सरकार और प्रशासन के पास पहुंचे हैं।
भैरवगढ़ में कपड़ा छपाई कला से रोजगार पाने वाले पारंपरिक उद्यमियों ने इसमें खासी रुचि दिखाई है। जनप्रतिनिधियों, प्रशासन और उद्यमियों के बीच सहमति होते ही इस दिशा में नए सिरे से प्रोजेक्ट बनाकर काम शुरू किया जाएगा। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना है उज्जैन के औद्योगिक विकास के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। भैरवगढ़ के कपड़ा कुटीर उद्योगों का भी विकास करेंगे। कलेक्टर आशीष सिंह का कहना है कि भैरवगढ़ प्रिंट उद्योग को सरकार के अभियान में शामिल किया जा सकता है। इस संबंध में जनप्रतिनिधियों के साथ बातचीत कर निर्णय लेंगे।
विदेशी डिमांड के अनुसार क्वालिटी की जरूरत
हस्तशिल्प विकास निगम के सतीश शुक्ला कहते हैं- विदेशों में भैरवगढ़ प्रिंट की डिमांड है। ई-कॉमर्स कंपनियों के माध्यम से आने वाली डिमांड के अनुसार कुछ लोग क्वालिटी बना रहे हैं। विदेशी डिमांड पूरी करने के लिए सभी लोगों को क्वालिटी सुधारना होगी। इसके लिए उन्हें हर स्तर पर प्रशिक्षण और सहायता की जरूरत है। यदि इसे अभियान के रूप में इसे लिए जाए तो निश्चित तौर से यहां कारोबार में दोगुना तक इजाफा किया जा सकता है। नए कारखानों के लिए बहुत संभावना है।
उज्जैन कपड़ों की बड़ी मंडी रही, देशभर में डिमांड थी
उज्जैन कपड़ों की बड़ी मंडी रही है। यहां कपड़ा उद्योग का एक युग रहा है। जब एनटीसी और निजी कपड़ा मिलों में बना कपड़ा देशभर में पहचान रखता था। विदेशी तकनीकी के कपड़ा उद्योग यहां रहे। धीरे-धीरे बड़े कपड़ा उद्योग बंद हो गए लेकिन अब भी पावरलूमों में यहां कपड़े का उत्पादन हो रहा, जो अपनी क्वालिटी के लिए जाना जाता है।
40 उद्योग चल रहे, दोगुने नए उद्योग चालू होने की संभावना
भैरवगढ़ में अभी 40 से ज्यादा घरों में यह लघु उद्योग चल रहे हैं। इनसे 500 से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है। भैरवगढ़ प्रिंट का सालाना कारोबार 6 से 8 करोड़ रुपए है। हस्तशिल्प विकास निगम के अलावा निजी तौर पर भी यहां के कलाकार अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने में जुटे हैं। इसके लिए ई-कॉमर्स कंपनियां वरदान साबित हुई हैं। कई लोग इन कंपनियों के माध्यम से कपड़ों की बिक्री कर रहे हैं।
राजा-महाराजाओं के लिए बनाते थे कलात्मक कपड़े
इस काम से जुड़े आसिफ बड़वाला बताते हैं कि भैरवगढ़ की कपड़ा छपाई कला की शुरुआत राजा-महाराजाओं के लिए कलात्मक कपड़े तैयार करने से हुई थी। बाद में यह रोजगार का साधन बन गई। भैरवगढ़ में कई परिवार अभी भी इस कला को जीवंत रखे हैं। इसके लिए वे स्वयं की डिजाइन्स तैयार करते हैं। यही उनकी मौलिकता उन्हें देश-विदेश में पहचान दिलाती है।