महाकोशल का पहला लेप्रोस्कोपिक किडनी प्रत्यारोपण आपरेशन मेट्रो हास्पिटल में किया गया। किडनी प्रत्यारोपण में संभावित लाखों रुपये के खर्च की व्यवस्था करने में मरीज असमर्थ था।
जिसके बाद आयुष्मान योजना के तहत किडनी प्रत्यारोपण किया गया। सफल आपरेशन के पश्चात मरीज को अस्पताल से छुट्टी दी गई। मरीज को जांच, आपरेशन अथवा औषधियों के लिए कोई अतिरिक्त राशि नहीं देनी पड़ी। आयुष्मान योजना के तहत उसे किडनी प्रत्यारोपण आपरेशन का निश्शुल्क लाभ मिला। उक्त जानकारी हास्पिटल के डायरेक्टर राजीव बड़ेरिया ने पत्रकार वार्ता में दी।
उन्होंने कहा कि अस्पताल में बड़ेरिया मेट्रो प्राइम हास्पिटल में विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है। कुशल एवं अनुभवी चिकित्सा विशेषज्ञों की टीम के कारण किडनी का लेप्रोस्कोपिक प्रत्यारोपण संभव हो पाया। उन्होंने कहा कि किडनी प्रत्यारोपण के लिए मरीजों को महानगरों में भटकने से राहत मिलेगी।
प्रत्यारोपण सबसे अच्छा विकल्प: किडनी रोग विशेषज्ञ डा. राजेश पटेल, डा. विशाल वढ़ेरा ने बताया कि किडनी मरीजों की जीवन रक्षा के लिए किडनी का प्रत्यारोपण सबसे अच्छा विकल्प है। सतना निवासी 28 वर्षीय युवक को उसकी पत्नी ने किडनी दान में दिया। पत्नी की एक किडनी का प्रत्यारोपण कर युवक की जान बचाई जा सकी। किडनी देने वाली पत्नी व लाभांवित युवक को किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना होगा। उन्होंने बताया कि युवक अस्पताल में डायलिसिस कराने के लिए आया था। उसे व स्वजन को बार-बार डायलिसिस से बचने के लिए किडनी प्रत्यारोपण की सलाह दी गई। स्वजन इसके लिए तैयार हो गए। कम चीरा व टांका में रक्तस्त्राव रहित आपरेशन कर किडनी का ट्रांसप्लांट किया गया।
आपरेशन के नौवें दिन युवक को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। अस्पताल के भेषज विशेषज्ञ डा. शैलेंद्र राजपूत ने बताया कि जबलपुर में हर माह पांच हजार डायलिसिस हो रहे हैं। किडनी रोगियों की संख्या भी दिनों दिन बढ़ रही है। डायबिटीज, हायपरटेंशन किडनी रोग की मुख्य वजह है। उन्होंने कहा कि रक्तदान की तरह अंगदान के लिए जनजागरुकता फैलाई जानी चाहिए। ताकि ब्रेन डेड मरीजों के अंगदान से जरूरतमंद मरीजों की जान बचाई जा सके। उन्होंने कहा कि किडनी प्रत्यारोपण आपरेशन में डा. फणींद्र सोलंकी, डा. देवेश गुप्ता, डा. अनूप जैन, डा. पंकज शर्मा, डा. विपिन रघुवंशी का योगदान रहा।