सप्त सागर बचाओ आंदोलन:- संतों ने पहले गोवर्धन सागर तट पर कराई सफाई फिर अतिक्रमण हटवाए, इसके बाद दिया धरना

पौराणिक सप्त सागरों को बचाने के लिए संतों का आंदोलन एक घंटे सफाई के लिए मशक्कत के बाद शुरू हो पाया। संत धरना देने बुधवारिया स्थित गोवर्धन सागर पर पहुंचे। वहां गंदगी का अंबार था। वाहनों की पार्किंग और अन्य अतिक्रमण फैला था। बैंड वालों की गाड़ियां खड़ी थी। संतों ने निगमायुक्त अंशुल गुप्ता को स्थिति बताई। निगम की टीम पहुंची और सफाई तथा अतिक्रमण हटाने का काम शुरू हुआ। आसपास के लोग भी मदद के लिए आ गए। इस मशक्कत के बाद जगह बनी, तंबू लगा, मंच बना और धरना शुरू हो पाया।

प्राचीन सप्त सागरों को सहेजने के लिए संतों ने शुक्रवार से धरना आंदोलन का ऐलान किया था। इसी के तहत वे धरना स्थल गोवर्धन सागर पहुंचे। सफाई और अतिक्रमण हटाने की मशक्कत के चलते धरना आधा घंटा देरी से शुरू हो पाया। दोपहर 12.30 बजे से संतों की जमात धरने पर बैठ गई। रामा दल अखाड़ा परिषद की अगुवाई में शहर के वैष्णव साधु-संतों ने पहले दिन धरना देकर भगवान श्रीराम के भजन गाए।

साधु-संतों का यह धरना तब तक जारी रहेगा जब तक प्रशासन सप्त सागरों को अतिक्रमण मुक्त कर उनके विकास के लिए कार्रवाई शुरू नहीं करता। रामा दल अखाड़ा परिषद के वरिष्ठ सदस्य महंत काशीदास, महामंडलेश्वर ज्ञानदास निर्मोही व श्री क्षेत्र पंडा समिति के अध्यक्ष प. राजेश त्रिवेदी के अनुसार संतों के धरना प्रदर्शन के पहले दिन वैष्णव संतों के अलावा शहर की विभिन्न सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधि भी शामिल हुए।

सप्त सागरों के प्राचीन-धार्मिक महत्व और इनकी वर्तमान में उपयोगिता बताई

रामादल अखाड़ा परिषद के महंत भगवानदास ने सप्त सागरों के प्राचीन महत्व और इनकी वर्तमान उपयोगिता बताई। वासुदेव शास्त्री ने कहा कि पुरुषोत्तम मास में सप्त सागरों के पूजन का विधान है। प्रशासन को सप्त सागरों को संरक्षित कर ऐसी व्यवस्था करना चाहिए ताकि पुरुषोत्तम मास के अलावा भी धर्मालुजन और बाहर से आने वाले यात्री सप्त सागर के दर्शन का पुण्य ले सकें।

धरने को महंत मुनिशरणदास, राघवेंद्रदास, महंत रामशरणदास, विशाल दास, पूर्व पार्षद ओम अग्रवाल आदि ने संबोधित किया। अग्रवाल ने बताया गोवर्धन सागर की जमीन पर कई लोगों ने कब्जा कर लिया था। लंबी लड़ाई लड़कर रजिस्ट्रियां कैंसिल कराई।

धरने में प्रमुख रूप से रामा दल अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष डाॅ. रामेश्वरदास, दिग्विजयदास, परमेश्वरदास त्यागी, महंत रामचंद्रदास, शंकरदास, मोहनदास, रूपकिशोर दास, मंगलदास, शिव लश्करी, सत्यनारायण वैष्णव, गौरव शर्मा, शांतिलाल कुमावत, जयप्रकाश शर्मा शामिल हुए।

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