गायन, वादन,नर्तन ओर अभिनय से 2 हजार युवाओं को दिखाई संस्कृति से जुड़े रहने की राह

किसी भी स्थान की कला-संस्कृति उसकी पहचान होती है। ऐसी ही आदिवासी व बुंदेली लोक-कला संस्कृति से सराबोर हैं जबलपुर व आसपास के क्षेत्र।

जिनकी इस पहचान को राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने का काम कर रही है नाट्य लोक सांस्कृतिक व सामाजिक संस्था। संस्था के अध्यक्ष विनय शर्मा व सचिव दविंदर सिंह ग्रोवर जब स्वयं विद्यार्थी थे तब से उनका लगाव आदिवासी और बुंदेली कला-संस्कृति से हुआ।

यह जादू ऐसा चढ़ा कि 1994-95 से हर दिन यही प्रयास रहता है कि अवहेलना का शिकार हो रही आदिवासी व बुुंदेली कला-संस्कृति को कैसे बचाया जाए और किस तरह राष्ट्रीय स्तर पर इसकी पहचान बरकरार रखी जाए। 1995 से अब तक इन कलाकारों ने करीब दो हजार युवाओं को न सिर्फ इस लोक- संस्कृति से परिचित कराया बल्कि इसका प्रशिक्षण भी दिया। कोरोना के कारण संख्या कुछ प्रभावित हुई है फिर भी हर साल लगभग 100 युवा नाट्य लोक संस्था के जरिए निश्शुल्क रूप से शामिल होकर अपनी संस्कृति को जान व समझ पा रहे हैं।

पहले खुद सीखा फिर दिया प्रशिक्षण : संस्था के सचिव दविंदर सिंह ग्रोवर ने बताया कि महाविद्यालयों में होने वाले युवा उत्सव में गुरु संजय खन्ना ने उनका परिचय कला-संस्कृति से कराया। पहले खुद सीखा और फिर बाद में दूसरे युवाओं को प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया। वर्ष 2012 में राजपथ दिल्ली में हम लोगों ने डिंडौरी के 180 कलाकारों को वहां के पारंपरिक आदिवासी लोकनृत्य गुदुमबाजा के साथ प्रदर्शित किया था। इसमें गुदुमबाजा को कोहनी से बजाते हुए नृत्य किया जाता है। इसे सीखने के लिए विनय शर्मा दो माह आदिवासियों के बीच रहे और उसके बाद वहां के लोक कलाकारों और विद्यार्थियों के साथ इस नृत्य को तैयार किया, जिसे उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के संयोजन में राजपथ पर प्रस्तुत किया गया।

संस्था द्वारा लगातार नर्तन, वादन, गायन, वेशभूषा और अभिनय के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर बुंदेली और आदिवासी कला संस्कृति को प्रस्तुत किया जा रहा है। देश के करीब 70 शहरों में नाट्य लोक संस्था के संस्कृति संवाहक प्रस्तुति दे चुके हैं। कोराना काल में भी संस्था द्वारा महिला कलाकारों से सजे जानकी बैंड की शुरुआत की गई। जानकी बैंड की 16 महिला कलाकार सदस्य डेढ़ साल की अवधि में राष्ट्रीय स्तर पर 36 प्रस्तुतियां दे चुकी हैं। संस्था द्वारा बुंदेली में फाग, अहीर, राई, ढिमराई और आदिवासी में करमा, सैला, रीना, गिरदा उत्सव, गुदुमबाजा पर काम किया जा रहा है। साथ ही जबलपुर तहसील के सात ब्लाक जबलपुर, कुंडम, मझौली, पनागर, पाटन, शहपुरा, सिहोरा के साथ ही मंडला, डिंडौरी, सागर, सिवनी, अनूपपुर व अन्य स्थानों में संस्था के कलाकार संस्कृति संरक्षण का कार्य कर रहे हैं। यही नहीं सामाजिक चेतना के क्षेत्र में भी संस्था के कलाकार नुक्कड नाटक कर चुके हैं। जिसमें स्वच्छता, जल संरक्षण, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, पौधारोपण, शिक्षा जैसे विषय शामिल हैं। आजादी के अमृत महेात्सव के दौरान संस्था द्वारा आजादी के वीरों पर आधारित नाटकों को तैयार करके युवाओं को इनसे जोड़ा जा रहा है। जिसमें शहीद भगत सिंह, रानी अवंती बाई, अश्फाक उल्ला खां, शहीद उधम सिंह जैसे नाटक शामिल है।

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