नटवारा में बारिश होने से किसानों के चेहरे खिलउठे थे। प्रकृति ने किसानों को तोहफा तो दिया परंतु यूरिया खाद के अभाव में किसान मायूस हैं।
किसानों को शहपुरा व आस-पास की सोसायटियों में खाद नहीं मिल रही है। किसान यूरिया के लिए इधर से उधर भटक रहे हैं।
ग्राम व आस-पास के ग्रामों के किसान एक-एक बोरी यूरिया के लिए किसान समितियों, इफफो सेवा केंद्र, सरकारी समिति के चक्कर लगा रहे हैं। यूरिया नहीं मिलने से किसान खेतों में नमी का फायदा उठाने में नाकाम हैं। किसानों को गेहूं एवं मटर की अच्छी फसल के लिए पानी के बाद यूरिया का प्रयोग करना भाता है, लेकिन खाद के अभाव में किसान परेशान हैं। वहीं शहपुरा के निजी उर्वरक विक्रेता गोदामों में खाद का अच्छा स्टाक किए बैठे हैं। किसान इन दुकानदारों से खाद लेने पहुंचते हैं तो यह यूरिया खत्म होना बताते हैं। इसके बाद किसान को यूरिया की बेहद जरूरत जानकार उसे जिंक, बायजान और सुपर खाद साथ में लेने जोर डालते हैं। इतना सब लेने पर भी किसान को यूरिया की एक बोरी की कीमत 350 से 400 रुपये देना पड़ रही है। निजी विक्रेताओं पर किसी तरह का अंकुश नहीं लगाया जा रहा है।
किसानों का आरोप है कि चंद व्यापारियों को 266 रुपये की दर से बेची जाने वाली यूरिया 280 रुपये बोरी के हिसाब से ब्लैक में दी जा रही है। क्षेत्र के हजारों किसान यूरिया के लिए मंडी परिषद् में सुबह से लाइन में खड़े हो रहे हैं। किसान शाम तक यूरिया का स्टाक देखता रहता है और बाद में उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ता है। किसानों ने मंडी परिषद के यूरिया का स्टाक बांटने वाले पुष्पेंद्र और निजी दुकानदारों पर कार्रवाई करने की मांग की है।