मौनी अमावस्या पर अज्ञात भय से निवृत्ति व पितृदोष निवारण के लिए करे यह उपाय

माघ मास की मौनी अमावस्या मंगलवार को महोदय योग में आ रही है। इस दिन स्नान,दान का विशेष महत्व है। ज्योतिषियों के अनुसार अमावस्या पर अज्ञात भय से निवृत्ति तथा पितृ दोष निवारण के लिए विशेष उपाय करने से लाभ मिलता है।

साथ ही परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है।

पं. हरिहर पंड्या के अनुसार अमावस्या पर अज्ञात भय से निवृत्ति के लिए अमावस्या पर किसी भी शिव मंदिर में पानी वाला नारियल चढ़ाने से मानसिक शांति व भय से मुक्ति मिलती है। भगवान शिव का काले तिल युक्त दूध से अभिषेक करने से पितृदोष का निवारण होता है। तांबे के कलश में काले तिलभर कर वैदिक ब्राह्मण को दान करने से कार्यों में आ रही बाधा का निवारण होने के साथ परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है। अमावस्या पर भिक्षुकों को भोजन व गायों को हरा चारा खिलाने का भी विशेष महत्व है।

यह करने की भी मान्यता

अमावस्या के दिन सुबह स्नान के बाद भगवान शिव अथवा भगवान विष्णु का नाम लेते हुए आटे की गोलियां बनाएं। इसके बाद किसी नदी व सरोवर पर जाकर आटे की गोलियों को मछली को खिला दें। इस उपाय से जीवन की अनेक परेशानियों का अंत हो सकता है। शाम के समय घर के ईशान कोण में गाय के घी का दीपक लगाएं। बत्ती में रूई के स्थान पर लाल रंग के धागे का उपयोग करें। साथ ही दीये में थोड़ी सी केसर भी डाल दें। इस उपाय से माता लक्ष्मी शीघ्र प्रसन्न् होती हैं। इससे आर्थिक बाधाओं का सरलता से समाधान हो जाता है। अमावस्या पर शराब का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। इससे भविष्य में आने वाले संकट दूर होते हैं।

ब्राह्मण व तीर्थ पुरोहितों की मांग- स्नान पर लगी रोक हटाएं

माघ मास की मौनी अमावस्या मंगलवार को महोदय योग की साक्षी में आएगी। इस योग में तीर्थ पर स्नान करने का विशेष महत्व है। लेकिन प्रशासन ने कोरोना संक्रमण के चलते शिप्रा स्नान करने पर रोक लगा दी है। इधर उज्जैन में ब्राह्मण समाज व तीर्थ पुरोहितों ने स्नान पर प्रतिबंध का विरोध किया है। अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष पं. सुरेंद्र चतुर्वेदी तथा तीर्थ पुरोहित गौरव उपाध्याय आदि का कहना है कि शहर में राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक व शासकीय गतिविधियां निर्बाध रूप से चल रही हैं। स्नान पर भी रोक हटानी चाहिए।

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