गर्भगृह में प्लास्टिक और स्टील प्रतिबंधित ,मंदिर के भंडार में बड़ी संख्या में स्वर्ण और रजत के पात्र, धर्मस्व मंत्री को लिखा पत्र

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श्री महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती के दौरान लगाए जाने वाले भोग के पात्र को लेकर सेवाधाम आश्रम के सुधीर भाई गोयल ने सवाल उठाये है। गोयल ने धर्मस्व मंत्री सहित उज्जैन कलेक्टर को इसके लिए एक पत्र भी लिखा है। गोयल ने कहा की पूरे विश्व में भक्तों की आस्था के केंद्र प्रसिद्ध महाकाल मंदिर के पास सैकड़ों किलो चांदी और स्वर्ण सहित बर्तनों का भंडार है।अल सुबह भस्म आरती के दौरान लगने वाला भोग प्लास्टिक , कागज और स्टील के डिब्बों में लगाया जाता है , जिसे तत्काल प्रतिबंधित करना चाहिए। पहले से ही श्री महाकालेश्वर मंदिर में प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध है। मंदिर समिति द्वारा श्री महाकालेश्वर के नित्य दर्शन हेतु सोशल मीडिया और अन्य प्रचार माध्यम के जरिए जो फोटो भेजे जा रहे है, उसमें साफ दिख रहा है कि भोलेनाथ श्री महाकालेश्वर को किस तरह के पात्रों में भोग लगाया जा रहा है, जो की धर्म संगत ना होकर धर्म विरुद्ध है।

इस संबंध में सुधीर भाई ने महाकालेश्वर मंदिर प्रशासक गणेश धाकड़ एवं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर को एक पत्र लिखकर भगवान को चढ़ाए जाने वाले प्रसाद को लेकर नीति बनाने की मांग की है, उन्होंने सुझाव दिया कि खाखरे के दोना पत्तल का उपयोग किया जाना चाहिए जो स्टील और प्लास्टिक और कागज से कहीं अधिक पवित्र है। मंदिर में प्लास्टिक और स्टील पूर्णतया वर्जित किया जाये ।

क्षरण को रोकने के लिए किये थे उपाय

महाकाल मंदिर शिव लिंग में हो रहे क्षरण को लेकर 2017 में निर्देश दिए गए थे जिसमें गर्भगृह में प्लास्टिक पर प्रतिबन्ध किया गया था। साथ ही शिव लिंग से कठोर वस्तुओं को दूर रखने की बात कही गयी थी। लेकिन भस्म आरती के दौरान रोजाना मिठाई और अन्य भोग प्लास्टिक और स्टील के पात्रों में लगाया जा रहा है।

महाकाल मंदिर के पुजारी महेश शर्मा ने कहा की अगर मंदिर समिति भोग के लिए बर्तन उपलब्ध करवा दे,तो हम उसमें भोग लगाने के लिए तैयार है।

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