महाकाल मंदिर समिति का फैसला:- प्रदेशभर में 84 बीघा जमीन महाकाल को दान में मिली, इन्हें बेचकर उज्जैन में नई जमीन खरीदी जाएगी

विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में वर्ष भर करोड़ों रुपए का दान के रुप में प्राप्त होता है। वहीं कुछ दान दाता सोना-चांदी सहित जमीनें भी दान कर जाते है। ऐसी ही दान में आईं जमीनों को अब मंदिर समिति ने बेचने का फैसला लिया है । जल्द ही महाकाल मंदिर प्रबंध समिति की बैठक में इस मुद्दे को रखा जाएगा। देश भर के भक्तों ने भगवान महाकाल को 84.132 बीघा जमीन दान स्वरुप भेंट की है। ये जमीन स्टेट के जमाने से भक्तों ने महाकाल को दान में दी थी। जो की प्रदेश के उज्जैन, इंदौर, देवास, रतलाम और मंदसौर जिलों में स्थित है। इनमें से कई जमीनों पर अवैध अतिक्रमण हो चुका है, वहीं कुछ जमीनों पर विवाद के बाद कोर्ट में केस चल रहा है और कुछ का राजस्व मिलता ही नहीं है। ऐसी जमीनों को चिन्हित कर जल्द ही बेच कर उज्जैन में नई जमीन खरीदी जाएगी, जिससे इनका उपयोग मंदिर में होने वाले कार्यों के लिए हो सकेगा।

ये जमीनें मंदिर के पास

मंदिर समिति के पास उज्जैन शहर सहित देवास रतलाम मंदसौर और इंदौर के जिलों में जमीनें है जो की इस प्रकार है

उज्जैन – 0.627 हेक्टेयर

बामोरा-11.05 हेक्टेयर

नईखेड़ी-3.030 हेक्टेयर

लेकोड़ा आंजना-4.860 हेक्टेयर

पिपलोदा सांगोती-2.700 हेक्टेयर

जलोदिया जागीर-1.230 हेक्टेयर

निमनवासा-9.040 हेक्टेयर

मंगरोला-5.220 हेक्टेयर

चिंतामन जवासिया -7.40 हेक्टेयर

देवास के राला मंडल-10.600 हेक्टेयर

सोन्सर-0.890 हेक्टेयर

कराड़िया-5.290 हेक्टेयर

रतलाम के पिपलोदा-9.768 हेक्टेयर

इंदौर के सांवेर-3.792 हेक्टेयर

राजगढ़ के जीरापुर-2.841 हेक्टेयर

कई जमीनों पर विवाद

महाकाल मंदिर को मिली जमीनों पर कुछ लोगों ने अतिक्रमण किया हुआ। उज्जैन की चिंतामन और मंगरोला में दान के रूप में आई जमीन के कुछ हिस्सों पर विवाद होने के बाद न्यायालय में केस चल रहा है। अन्य जिलों में भी यहीं हालात है। लेकिन अच्छी बात ये है की जमीनों पर कब्जा मंदिर समिति का ही है।

राजस्व की कमी

उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा है अन्य जिलों की जमीनों से मंदिर समिति को राजस्व भी नहीं मिल रहा है। उज्जैन को छोड़कर देवास, रतलाम, इंदौर सहित मंदसौर की जमीनों को मंदिर समिति बेचने का प्लान तैयार कर रही है। उस राशि से उज्जैन में एक जगह बड़ी जमीन खरीदी जा सके। जिसके बाद मंदिर के अन्य क्रिया कलापों के लिए काम आ सकेगी।

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