अनुसूचित जाति-जनजाति पोस्ट मैट्रिक छात्रावास की जर्जर इमारत का मामला गरमा गया है। सालों से उपेक्षा के शिकार छात्रावास मामले को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने संज्ञान लिया है।
उन्होंने एक ट्वीट के जरिए इस स्थानीय मुद्दे को प्रादेशिक बनाने की कोशिश की है। इस मामले को कांग्रेस प्रदेश स्तर पर ले जाने की तैयारी में हैं। इसी बीच सोमवार को छात्रावास का दल भोपाल में दिग्विजय सिंह से मिला। पूर्व सीएम ने आश्वास्त किया कि वे छात्रावास निर्माण के लिए राशि भी देंगे।
रद्दी चौकी अधारताल स्थित अनुसूचित जाति-जनजाति पोस्ट मैट्रिक छात्रावास बीते चार-पांच सालों से दुर्दशा का शिकार है। 14 फरवरी को छात्रावास के छत की एक दीवार गिर गई थी, जिसके चलते छात्र बाल-बाल बचे थे। इस घटना के चलते छात्रावासी छात्र धरने पर बैठ गए थे। मौके पर पहुंचे प्रशासन के अमले ने 17 फरवरी को छात्रावासी छात्रों की मौजूदगी में पीडब्ल्यूडी अफसरों के साथ बैठक करने का आश्वासन दिया था। लेकिन 17 फरवरी को प्रशासन ने तो कोई बैठक नहीं की। इस मुद्दे को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने लपक लिया। उन्होंने ट्वीट करके लिखा है कि ”भाजपा ब्रांडिंग में माहिर है, माल चाहे कैसा भी हो… दलित-आदिवासी को सपने दिखाओ और मलाई खुद खाओ।” दिग्विजय सिंह ने अपने ट्वीट में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी टैग किया।
सोमवार को की मुलाकात: पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने छात्रावासी छात्रों के साथ सोमवार की शाम भोपाल स्थित अपने बंगले पर मुलाकात की। उन्होंने अपनी सांसद निधि से इस हास्टल की इमारत को बनवाने की पेशकश की है। जबलपुर से हास्टलर्स का 10 सदस्यीय दल भोपाल पहुंचा, जहां देर शाम उसकी पूर्व सीएम से मुलाकात हुई। छात्रावास के छात्रसंघ अध्यक्ष शिवम चौधरी ने दूरभाष पर बताया कि दिग्विजय सिंह ने दो छात्रावास की दो भवनों की मरम्मत के लिए 11-11 लाख रुपये देने की बात कही है। इसके अलावा उन्होंने सभी छात्र-छात्राओं को भोपाल में ही रोक लिया है। इस विषय को लेकर उनकी मुलाकात आज कमलनाथ से कराए जाने की बात कही जा रही है।
ये मिले दिग्विजय सिंह से: पूर्व मुख्यमंत्री से मुलाकात करने वालों में पोस्ट मैट्रिक छात्रावास के शुभम चौधरी, महेन्द्र मरकाम, महेश अहिरवार, रूप सिंह, वर्षा मरावी, मेनका धूमकेती, महिपाल सिंह पुषाम, अजय अहिरवार, शुभम चंदेल और महेश अहिरवार शामिल रहे।
कांग्रेस ने किए थे प्रयास – लखन: इस मामले में क्षेत्रीय विधायक लखन घनघोरिया ने कहा कि कांग्रेस हमेशा से आदिवासियों की हितैषी रही है। दिग्विजय सिंह दो बार मुख्यमंत्री रहे हैं, इसलिए उनकी संवेदनशीलता जायज है। कमल नाथ सरकार के समय हास्टल की नई बिल्डिंग के लिए राशि भी जारी हो गई थी, टेंडर प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी थी, लेकिन मौजूदा सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।
सांसद राकेश सिंह बोले-दिग्विजय सिंह को गंभीरता से नहीं लेता: मैं दिग्विजय सिंह को या उनकी बात को बहुत गंभीरता से नहीं लेता। अगर कांग्रेस को आदिवासियों की इतनी ही चिंता होती तो कांग्रेस की ऐसी स्थिति नहीं होती। मेरी जानकारी में छात्रों की यह समस्या नहीं रही है। आपके द्वारा संज्ञान में लाई गई है तो अब मैं प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों से बात करूंगा कि किस तरह से हास्टल की बिल्डिंग का नये सिरे से निर्माण कराया जा सकता है।