मध्य प्रदेश के नए पुलिस महानिदेशक को लेकर अब तस्वीर साफ हो गई है। 1987 बैच के आइपीएस अधिकारी सुधीर कुमार सक्सेना नए पुलिस महानिदेशक होंगे।
राज्य सरकार के अनुरोध पर केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश के लिए कार्यमुक्त कर दिया है। वे चार मार्च को सेवानिवृत्त होने जा रहे पुलिस महानिदेशक विवेक जौहरी का स्थान लेंगे। नियुक्ति आदेश गुरुवार को जारी किया जाएगा।
मुख्यमंत्री सचिवालय के अधिकारियों ने बताया कि विवेक जौहरी के बाद पुरुषोत्तम शर्मा वरिष्ठ अधिकारी हैं लेकिन वे निलंबित हैं इसलिए उनकी दावेदारी नहीं है। इसके बाद सुधीर कुमार सक्सेना का नाम है, जो केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर थे। राज्य सरकार के अनुरोध पर आज बुधवार को उनकी सेवाएं मध्य प्रदेश को वापस करने का निर्णय लिया गया है। गृह विभाग के अधिकारियों ने बताया कि चूंकि, वरिष्ठता के हिसाब से नियुक्ति हो रही है इसलिए सीधे पुलिस महानिदेशक बनाने के आदेश जारी किए जाएंगे।
पैनल डीपीसी के लिए भेजा जाएगा प्रस्ताव
उधर, नियुक्ति संबंधी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए संघ लोक सेवा आयोग को प्रस्ताव भेजा जाएगा इसमें उन सभी अधिकारियों के नाम शामिल होंगे जिन की सेवा अवधि को 30 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। वरिष्ठता और सर्विस रिकॉर्ड के आधार पर आयोग पैनल तैयार करके भेजेगा। बैठक में प्रदेश सरकार की ओर से मुख्य सचिव शामिल होंगे। इस प्रक्रिया में डेढ़ से दो माह का समय लगेगा।
यह तीसरा मौका होगा जब रतलाम में पदस्थ रहे एसपी को डीजीपी बनाया जाएगा। इससे पहले संजय राउत और वर्तमान डीजीपी रतलाम में एसपी रह चुके हैं।
इसी माह सेवानिवृत्त हो जाएंगी अरुणा मोहन राव
1987 बैच की अधिकारी विशेष महानिदेशक प्रशिक्षण अरुण मोहन राव मार्च में सेवानिवृत्त हो जाएंगी। वहीं, विशेष महानिदेशक कापरेटिव फ्राड राजेन्द्र कुमार मिश्रा अक्टूबर में सेवानिवृत्त होंगे।
सुधीर सक्सेना प्रबल दावेदार
पुलिस महानिदेशक बनाए जाने के लिए केंद्र सरकार में पदस्थ 1987 बैच के अधिकारी सुधीर कुमार सक्सेना प्रबल दावेदार हैं। इसके बाद इसी बैच के अधिकारी पवन कुमार जैन का नाम है, जो महानिदेशक होमगार्ड हैं। इन दोनों से वरिष्ठ अधिकारी 1986 बैच के पुरुषोत्तम शर्मा हैं। वे फिलहाल निलंबित हैं, इसलिए उन्हें दौड़ से बाहर माना जा रहा है।
प्रस्ताव के साथ भेजा जाएगा पांच साल का रिकार्ड
गृह विभाग के अधिकारियों ने बताया कि संघ लोक सेवा आयोग को पुलिस महानिदेशक का पैनल बनाने के लिए उन सभी अधिकारियों की सूची भेजी जाएगी, जिनकी सेवा के 30 साल पूरे हो चुके हैं। सूची के साथ डीजीपी बनाए जाने के लिए सहमति पत्र, पांच साल की गोपनीय चरित्रावली सहित अन्य जानकारियां भेजी जाएंगी। वहां इनका परीक्षण किया जाएगा और फिर बैठक होगी। इसमें प्रदेश की ओर से मुख्य सचिव हिस्सा लेंगे। तीन नामों की जो पैनल भेजी जाएगी, उसमें से अंतिम चयन मुख्यमंत्री करेंगे।