सिवनी मुख्यालय के टैगोर वार्ड में श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया गया है। जिसमें उत्तर प्रदेश से आए कथावाचक डॉ. आनंद चैतन्य महाराज करपात्री शक्तिपीठ वाराणसी ने अपने मुखारबिंद से भगवान श्रीकृष्ण प्रभु की बाल लीला, रास लीला का वर्णन कथा प्रसंग के माध्यम से श्रद्धालुगणों को सुनाया गया। कथावाचक ने भगवान के हर अवतार का वर्णन कथा प्रसंग में किया और बताया कि जब-जब पृथ्वी पर कोई संकट आता है, दुष्टों का अत्याचार बढ़ा है तो भगवान अवतरित होकर उस संकट को दूर करते हैं। भगवान शिव और भवगान विष्णु ने कई बार पृथ्वी पर अवतार लिए हैं। भक्तों की पुकार पर दैत्य दानवों के संहार के लिए भगवान स्वयं धरती पर प्रकट हुए और दुष्टों का हर युग में संहार किया है।
कथा प्रसंग में आगे बताया कि द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने अवतार लिया है। उन्होंने श्रोताओं को बताया कि देवकी और वासुदेव के विवाह पश्चात ही विदाई के समय ही कंस को आकाशवाणी हो गई थी कि देवकी का आठवां पुत्र ही कंस का वध करेगा। इसके बाद से कंस ने कई प्रयास किए, ताकि आठवें बच्चे को धरती पर ही न आने दिया जाए।लेकिन भगवान विष्णु ने ही कंस के वध के लिए श्री कृष्ण का अवतार धारण किया था। उन्होंने बताया कि मथुरा के राजा कंस भगवान श्रीकृष्ण को अपना काल समझते थे। उनको बाल रूप में ही मरवाने के लिए राक्षसों को द्वारका में भेजा। परंतु, उसकी सारी योजनाएं विफल रही। श्री कृष्ण एक ऐसे अवतार हैं जिनसे प्रेम करने वाले हर घर में मौजूद हैं।