कांग्रेस प्रदेश आलाकमान कमलनाथ के ओर से जो जिस वार्ड का निवासी है, वह उसी वार्ड से चुनाव लड़ने के फरमान के बाद शहर के ऐसे कई दिग्गज कांग्रेसी नेताओं के मंसूबों पर पानी फिरता दिखाई दे रहा है। जो शुरू से अध्यक्ष की दौड़ में शामिल तो है, लेकिन उनका वार्ड आरक्षण उनके अनुरूप नहीं हुआ है। जिसके कारण इस आदेश के बाद उनके चेहरों की खुशी ही गायब हो गई है।
हालांकि इस आदेश के बाद वर्षों से टिकिट मांग रहे जमीनी कार्यकर्ताओं में खुशी का माहौल भी व्याप्त है। माना जा रहा है कि यदि कांग्रेस हाईकमान के आदेश का टिकट वितरण में पालन किया जाता है, तो कांग्रेस के कई दिग्गज नेता पार्षद का चुनाव लड़ने से रह जाएंगे। ऐसे में काफी समय से अध्यक्ष बनने का सपना देख रहे ऐसे कई कांग्रेसी नेताओं के मंसूबों पर पानी फिर जाएगा।
अपने-अपने राजनीतिक आकाओं के संपर्क में जुटे उम्मीदवार
इस बार पार्षद के ओर से अध्यक्ष उम्मीदवार का चयन करने की प्रक्रिया होने के कारण पार्षद बनना काफी महत्वपूर्ण हो गया है। जो पार्षद बनकर परिषद में जाएगा उसका कद अपने आप ऊंचा हो जाएगा। ऐसे में हर वार्ड में अनेक उम्मीदवार चुनाव लड़ने की तैयारी में जुट गए है। वहीं दोनों प्रमुख पार्टी से टिकट पाने के लिए हर उम्मीदवार अपने राजनितिक आका से संपर्क कर जुगत में जुट चुका है और उसके ओर से मतदाताओं से भी संपर्क बढ़ाया जाने लगा है।
कांग्रेस भाजपा के वरिष्ठ हर वार्ड में तलाश रहे मजबूत दावेदार
नगर पालिका सीट जहां कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है, वहीं भाजपा भी इस सीट पर अपना कब्जा बनाने में जुटी है। ऐसे में नगर के 23 वार्डों में दोनों पार्टी के वरिष्ठ जितने वाले उम्मीदवार को टिकट देना चाहते है।
इसके लिए सर्वे कराने के साथ उस वार्ड के वरिष्ठों की राय भी ली जा रही है। चुंकी पार्षद बनने के बाद ही अध्यक्ष का चयन उन पार्षदों से होगा और पार्षद ही अध्यक्ष के लिए मतदान करेंगे। ऐसे में दोनों पार्टी अपने अधिक पार्षद को जिताने के लिए अच्छे उम्मीदवार लाना चाहती है।