कृषि कालेज सीहोर के सोयाबीन प्रजनक डॉ. एसआर रामगिरी ने क्षेत्र के उन्नत किसान बहादुर सिंह के निवास पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान बताया कि सोयाबीन की फसल अब ज्यादा पानी में न तो खराब होगी, न ही कम पानी में सूखेगी। पीला मोजेक वायरस का फसल पर अटैक भी नहीं होगा। किसानों को इसी खरीफ सीजन में वायरस प्रतिरोधी बीज मिलेंगे। । इस मौके पर पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष राकेश राय को उन्होंने नई किस्म के बारे में जानकारी पर चर्चा की।
इस मौके पर आरके कृषि महाविद्यालय के सोयाबीन प्रजनक डॉ. राजगिरी का कहना है कि महाविद्यालय में अनुसंधान का कार्यक्रम लंबे समय से चल रहा है। सतत अनुसंधान एक किस्म का विकास हुआ जिसका नाम जवाहर सोयाबीन 335 था, इस किस्म ने मध्यप्रदेश सोयाब प्रदेश के नाम से पहचान दी, इस किस्म ने मध्यप्रदेश में प्रसिद्ध है और अनेक किसान इसका लाभ ले रहे है। किसानों की आमदानी में सकारात्मक योगदान दिया और सोयाबीन मप्र की प्रमुख खरीफ फसल जानी जाने लगी।
उन्होंने बताया कि मौसम एवं जलवायु के परिवर्तन को देखते हुए प्रदेश की मिट्टी की बनावट, वर्षा अवधि एवं इसका बिखराव किसानों की आवश्यकता को भी देखते हुए, सोयाबीन की कम अवधि वाली, कीट एवं रोग निरोधक उपयुक्त अंकुरण बीज गुणवत्ता, प्रोटीन एवं तेल की उचित मात्रा वाली नवीन किस्सों का विकास जो मशीन द्वारा कटाई हेतु उपयुक्त हो ऐसी किस्मों का विकास किया गया। जिसमें सोयाबीन आरबीएस 18 है।
उन्नत किस्मों को प्रदेश के किसानों ने राजविजय सोयाबीन के नाम से पहचान कर अधिक उत्पादन प्राप्त कर अपनी आमदनी बढ़ा रहे है। प्रगति शील किसान जैसे बहादुर दांगी, बेनी राय, संजीव राय, गोलू सिसोदिया, राघवेन्द्र राजपूत द्वारा इन नवीन किस्मों का सुधार गुणवत्तापूर्ण बीजों का उत्पादन कर अपने क्षेत्र के किसानों को वितरण कर रहे है। उनका कहना है कि प्रदेश के किसनों को नई सोयाबीन के बीजों की भरपाई संतोषजनक नहीं है समय पर सोयाबीन के बीज के वितरण की उचित व्यवस्था की आवश्यकता है। जिससे प्रदेश के किसानों की उत्पादकता और बढ़ सके।