अगर नशा करना है तो भगवान के नाम का करो। भगवान के नाम का नशा मनुष्य के जीवन को सुखमयी तथा आनंदमयी बनाता। नशा वर्तमान में हमारी युवा पीढ़ी को तबाह कर रहा है। नशा करना है तो भगवान का करो, नशा मनुष्य की बुद्धि और विवेक को नष्ट कर देता है। उक्त विचार शहर के सैकड़ाखेड़ी स्थित संकल्प नशा मुक्ति केन्द्र के तत्वाधान में रविवार को अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस के दौरान भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहे।
उन्होंने कहा कि नशा समाज में एक जहर है जो इंसान को दीमक की तरह अंदर ही अंदर खोखला कर इंसान की बुद्धि को दूषित कर देता है। नशा करने के उपरांत इंसान का तन और मन एकाग्र नहीं रहता। मानव अपना होश खोकर अपने पराये की परख भूल जाता है। नशा इंसान को जीवन नही देता। नशा तो इंसान के जीवन का नाश करता है। यदि सच में नशा करना चाहते हैं तो प्रभु भक्ति का नशा करे। जो सदा के लिए चढ़ा रहता है जो कभी नहीं उतरता। ऐसे नशे को करके हम भक्ति का आनंद प्राप्त कर सकते है।
रविवार को आयोजित कार्यक्रम में सर्व प्रथम नशा मुक्ति केन्द्र के संस्थापक वीपी सिंह और श्रीमती विमला सिंह ने भागवत भूषण पंडित श्री मिश्रा का स्वागत किया। वहीं स्वागत भाषण केन्द्र के संचालक राहुल सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि यह हर्ष का विषय है कि नशा निरोधक दिवस के मौके पर यहां पर मौजूद हितग्राहियों को नशे से मुक्ति दिलाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित श्री मिश्रा स्वयं आए है और अपने आशीष वचनों से उनको इस लत से छुटकारा दिलाने के लिए प्रेरित कर रहे है।
200 से अधिक हितग्राहियों ने नशा न करने का संकल्प लिया
कार्यक्रम के दौरान संस्थापक श्री सिंह ने हर साल की तरह इस साल भी नशा निरोधक दिवस पर केन्द्र में मौजूद 200 से अधिक हितग्राहियों के सामने शपथ-पत्र का अनुमोदन कर नशा मुक्ति का संकल्प दिलाया। कार्यक्रम का सफल संचालन नटवर कुशवाहा ने किया, वहीं आभार व्यक्त सामाजिक न्याय विभाग के उप संचालक श्रवण कुमार पचौरी ने व्यक्त किया।