शहर के दूसरे सबसे बड़े पालदा औद्योगिक क्षेत्र की खस्ताहाल सड़कों के कारण हर साल बारिश के दो महीनों (जुलाई-अगस्त) में करीब 100 करोड़ रुपए का कारोबार प्रभावित होता है। खराब सड़कों के चलते अन्य प्रदेशों के कारोबारी आने से बचते हैं, जिससे ऑर्डर कम होते हैं।
कीचड़ और गड्ढों में बड़े वाहनों के फंसने के कारण भी नुकसान होता है। अधिक बारिश में लोडिंग वाहनों के पलटने की घटनाएं आम हैं। सड़कें सुधारने के लिए यहां के उद्योगपति कई बार विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं। तीन साल पहले तो बैलगाड़ी पर बीएमडब्ल्यू और मर्सिडीज जैसी लग्जरी गाड़ियां रखकर प्रदर्शन किया था, लेकिन अब तक सड़कें नहीं बनी हैं। क्षेत्र की करीब पांच किलोमीटर की खराब सड़कें परेशानी का सबब हैं।
जनसहयोग से बनाई थीं आधा-आधा किमी सड़कें
चार साल पहले उद्योगपतियों ने जनसहयोग से अलग-अलग हिस्से में आधा-आधा किमी की दो सड़कें बनाई थीं, लेकिन सीवरेज व ड्रेनेज लाइन डालने के लिए उन्हें खोद दिया गया है। शक्ति तौल कांटे के पास की करीब 750 मीटर की सड़क नगर निगम ने पिछले दिनों बनाई है, जिसका लोकार्पण होना है। समता नगर की करीब 500 मीटर की एक सड़क भी जनसहयोग से बनी है।
करोड़ों टैक्स देने के बाद भी सड़क, पानी, लाइट नहीं
पालदा औद्योगिक संगठन के सचिव हरीश नागर ने बताया कि क्षेत्र से करीब दो हजार करोड़ रुपए का कारोबार हर वर्ष होता है। सब मिलाकर करीब 400 करोड़ का टैक्स हम चुकाते हैं, फिर भी सड़क, पानी, स्ट्रीट लाइट जैसी मूलभूत सुविधा नहीं है। क्षेत्र की 5 किमी खराब सड़कों के कारण बारिश के दो महीनों में 100 करोड़ का कारोबार प्रभावित होता है।
बारिश के दिनों में ट्राले फंसने से दो-दो दिन बंद रहते हैं रास्ते
अध्यक्ष प्रमोद जैन ने बताया बारिश के दिनों में आए दिन ट्रालों और लोडिंग वाहनों के कीचड़ में फंसने और पलटने की घटनाएं होती हैं। ऐसे में कई बार दो-दो दिन तक रास्ते बंद हो जाते हैं। सप्लाय प्रभावित होने के साथ ही माल का भी नुकसान होता है।
ढाई करोड़ साल का संपत्तिकर फिर भी टैंकरों के भरोसे उद्योग
उद्योगपति अभय अग्रवाल ने बताया नगर निगम को सिर्फ संपत्तिकर के यहां से ढाई करोड़ रुपए दिए जाते हैं। 40 साल पुराने क्षेत्र में अब तक नर्मदा पानी की सप्लाय नहीं है। बोरिंग के अलावा गर्मियों में टैंकरों के भरोसे अधिकांश उद्योग संचालित होते हैं।
पूरे देश में सप्लाय होती हैं दालें
पालदा में बड़ी संख्या में दाल मिले हैं। गजेंद्र सिंह छाबड़ा ने बताया कि पूरे देश में यहां की दाल मिल से सप्लाय होती है। बारिश में सप्लाय प्रभावित होने से अन्य प्रदेशों के ग्राहक गुजरात और महाराष्ट्र को ऑर्डर दे देते हैं। इससे नुकसान होता है।
एक सड़क का काम पूरा हो चुका
पालदा की एक सड़क का काम पूरा हो चुका है। एक सड़क जनसहयोग से बन गई है। अन्य सड़कों के काम भी जल्द शुरू कराए जाएंगे, प्रोजेक्ट तैयार है।
– वैभव देवलासे, जोनल ऑफिसर