हर एक व्यक्ति के पास अपनी जमीन हो, जिस पर वह रहने के लिए एक छोटा सा घर बना सके, यह मंशा प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की है। इसके लिए मुख्यमंत्री आवासीय भू अधिकार योजना संचालित है। जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में भूमिहीन परिवारों को आवासीय भू खंड उपलब्ध कराकर उन्हें स्थाई पटटे दिए जाते हैं। लेकिन आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास रत बड़ी आबादी भू अधिकार से वंचित हैं। योजना कागजी झमेले में झूलती हुई नजर आ रही है। जिले में योजना को लेकर उचित प्रचार प्रसार नहीं होने के कारण से 496 ऐसे गांव हैं, जहां योजना के प्रथम चरण में किसी ने आवेदन ही नहीं किया है।
उल्लेखनीय है बीते वर्षों से भू अधिकार योजना लागू है। लेकिन कई गरीब परिवार ऐसे हैं, जो गांव में रह तो रहे हैं। अधिकांशतय वह कच्चे घर बना कर रहे हैं। मगर उनके पास उस जमीन का मालिकाना हक नहीं है। मालिकाना हक नहीं होने के कारण से उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा।
पहले चरण में 6 हजार 81 भूमिहीनों ने आवेदन किए हैं। अब जिले में कुल 1064 ग्रामों में से 568 ग्रामों के लोगों ने ही आवेदन किए हैं। जबकि, 496 ऐसे गांव हैं जहां से एक भी आवेदक सामने नहीं आए हैं। जिले में सबसे अधिक आवेदन श्यामपुर तहसील से 2252 प्राप्त हैं। जबकि, सबसे कम जावर तहसील में118 आवेदन तो वहीं सीहोर तहसील में 348 लोगों ने आवेदन किए हैं। वहीं, सीहोर नगर की बात की जाए तो महज 11 लोगों ने पटटे मांगे हैं। इतने कम आवेदन आए हैं जबकि बड़ी आबादी पटटों से वंचित है आवास से वंचित हैं। अब इन तक जानकारी नहीं पहुंची, ग्रामीण क्षेत्रों में पटटों के लिए आवेदन की प्रकि्रया की जा रही है। जबकि प्रथम चरण के जिन्होंने आवेदन किया था, उन्हें पटटे वितरित नहीं किए हैं।
गुंचा सनोवर, एडीएम सीहोर का कहना है कि गांवों में कैंप लगाए जा रहे हैं। आवेदन भी आ रहे हैं। भूमिहीन परिवारों को आवासी पटटे वितरित किए जाएंगे। पटवारी सर्वे कर रहे हैं।